हरियाणा की स्थिति: आधी आबादी पर रण के मैदान में महज 6 प्रतिशत
सिरसा, 10 मई। भले ही महिलाओं को बराबरी का हक देने की हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी बातें हर रोज सुनने को मिलती हैं पर बात अगर राजनीति की करें तो अभी मंजिल दूर प्रतीत हो रही है।
जहां हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों को पछाड़ती नजर आती है वहीं राजनीति में अभी महिलाएं पुरुषों से काफी पिछे हैं। इसका उदाहरण लोकसभा चुनावों में हुए नामांकनों से लिया जा सकता है।
जी हां अगर हम बात हरियाणा की करें तो 10 लोकसभा सीटों के लिए 267 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या महज 18 है।
दरअसल 25 मई को हरियाणा में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भरे गए नामांकनों की वापसी की प्रक्रिया 9 मई दोपहरबाद तक चली। जिसके बाद मैदान में कुल 267 प्रत्याशी रह गए है।
इनमें महिलाओं की संख्या मात्र 18 है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आधी आबादी में से चुनावी रण में सिर्फ 6 प्रतिशत ने ही दिलचस्पी दिखाई है।
सिर्फ हरियाणा ही नहीं लगभग सभी प्रदेशों में पुरुषों के मुकाबले महिला प्रत्याशियों की संख्या कहीं भी 50 प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाई है।
इस प्रकार है प्रत्याशियों की संख्या का विवरण
अंबाला में 18 जिनमें महिलाएं 2, भिवानी-महेंद्रगढ में 17 जिनमें महिलाएं 2, फरीदाबाद में 27 जिनमें महिलाएं 2, गुरुग्राम में 37 जिनमें महिलाएं 3, हिसार में 28 जिनमें महिलाएं 3, करनाल में 21 जिनमें महिलाएं 2,
कुरुक्षेत्र में 40 जिनमें महिलाएं 1, रोहतक में 31 जिनमें महिलाएं 2, सिरसा में 26 जिनमें महिलाएं 1 व सोनीपत में 22 प्रत्याशी मैदान में है पर इस सीट से एक भी महिला मैदान में नहीं है।
देश में 11409 प्रत्याशी
अब तक जिन सीटों के चुनाव हो गए है और जहां पर चुनाव होने वाले हैं वहां पर भरे गए नामांकनों की संख्या पर नजर डालें तो देश भर में 11 हजार 409 प्रत्याशी मैदान में हैं।
अब तक कुल 16,866 नामांकन भरे गए थे जिनमें से 4100 नामांकन रद्द हुए है और 1080 ने नामांकन वापिस लिए है।
नारी वंदन विधेयक लागू होने के सुनिश्चित होगी महिलाओं की राजनीति में भागीदारी
केंद्र सरकार द्वारा लाया गया नारी शक्ति वंदन अभिनंदन विधेयक संसद में पास हो चुका है। आगामी चुनावों में यह विधेयक लागू हो सकेगा।
जिसके बाद आधी आबादी को 33 प्रतिशत संख्या में राजनीति में भागीदारी सुनिश्चित हो जाएगी। महिलाओं की राजनीति में भागदारी बढ़ाने के मकसद से ही केंद्र सरकार द्वारा उक्त विधेयक को संसद में लाया गया था।