बिजली की खातिर चुनाव का बहिष्कार, सरकार के लिए सबसे ज्यादा शर्मनाक

बिजली | Khabrain Hindustan | DHBVN |

सिरसा शहर में बिजली आपूर्ति को लेकर लोग हुए परेशान, कोई सुनवाई नहीं

बिजली मंत्री के खुद के शहर मेेंं बिगड़े हालात,तीन-तीन, चार-चार घंटे के कट से लोग बेहाल

सिरसा, 27 मई। जो सरकार जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न करवा सके उसे स्वयं को अच्छी सरकार कहने का कोई हक नहीं हैं।

तापमान 47 से 48 डिग्री सेल्सियश के बीच घूम रहा है, लोग गर्मी से बेहाल है पर बिजली निगम पर कोई असर नहीं हो रहा है। लोग गर्मी में पसीने से तरह बतर है और बच्चे चीख रहे है पर निगम अधिकारियों को बच्चों की चीख सुनाई नहीं दे रही है।

नगर में चार चार घंटे के कट लग रहे हैं पर अधिकारी है कि एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। बिजली मंत्री के खुद के नगर में बिजली आपूर्ति के ऐसे हालात बने हुए है तो दूसरो जिलों में तो स्थिति और भी बदतर होगी।

लोगों ने कुछ गांवों में बिजली आपूर्ति से परेशान होकर चुनाव का बहिष्कार किया इससे ज्यादा सरकार के लिए शर्मनाक हालात नहीं हो सकते।

बिजली निगम की ओर से आए दिन सूचना जारी होती थी कि मैंटीनेंस के चलते दो घंटा आपूर्ति ठप रहेगी, कही तार तो कही ट्रांसफार्मर बदलने की बात कही जाती थी, निगम अधिकारियों को पता था

कि कौन सा ट्रांसफार्मर ओवरलोड है पर उसे बदला ही नहीं गया- जैसे ही गर्मी ने विकराल रूप दिखाना शुरू किया तो बिजली आपूर्ति के नखरे शुरू हो गई

कही फ्यूज उडऩे लगेे, निगम तीन से चार घंटे तक बिजली आपूर्ति बंद करके बैठ जाता था, पूछो तो एक ही रोना रोया जाता था

कि मांग ज्यादा बढ़ गई है, ट्रांसफार्मर ओवरलोड हो रहे है। एसई की ओर से कहा गया कि लोगों में एसी लगाने की होड़ बढ़ गई है, एसी बने ही लगाने के लिए है।

घरों से ज्यादा एसी का प्रयोग सरक ारी कार्यालयों में होता है, जरूरत से ज्यादा होता है, कमरे में कोई हो या न हो एसी चलते रहतेे है, एक कमरे में एक नहीं दो दो लगे रहते हैं।

महंगाई के दौर में लोग घरों में लगे एसी 24 घंटे नहीं चलाते, एक या दो घंटे चलाकर बंद कर देते है, कमरे का तापमान बढऩे पर फिर चलाकर बंद कर देते है

क्योंकि उन्हें बिजली का बिल भी भरना होता है, जिसकी निगाह ही बिजली बिल पर लगी हो वह बिजली की बचत के बारे में पहले सोचता है।

्बिजली निगम के पास एक रास्ता है, वह लोड का सर्वे करवाए, उपभोक्ताओं को एक या दो माह का समय दें कि वे लोड चेंज करवाए ऐसा न करने पर उन्हें भारी जुर्माना देना होगा,

इसके बाद निगम को सही लोड के बारे में पता चलेगा और उसी हिसाब से क्षेत्र में ट्रासंफार्मर लगा देना चाहिए ताकि बार बार कट से छुटक ारा मिल से।

निगम अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता, हरियाणा सिरसा जिला ऐसा जिला है जहां का उपभोक्ता सबसे पहले बिल जमा करता है, लाइन लॉस दूसरे जिलों से बहुत कम हैं। दूसरी ओर बिजली निगम जिस सेवा की बात कर रहा है

वह सेवा उपभोक्ताओं को मिल ही नहीं रही है। बिजली निगम को लेकर एक बात साफ दिखाई दे रही है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच में तालमेल नहीं है ऊपर से नीचे तक अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।

शिकायत केंद्र की शिकायत किससे करें, कोई सुनवाई नहीं

दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम की ओर से हर जिला में उपभोक्ता की शिकायतों के निवारण को लेकर शिकायत केंद्र स्थापित किए गए है। जिन्हें बिजली सुविधा केंद्र का नाम दिया गया है

पर असल में ये केंद्र ही सबसे बड़ी असुविधा के केंद्र बनकर रह गए है।

निगम ने बिजली सुविधा केंद्र में टेलीफोन नंबर- 01666-238487, 01666-238489, 01666-225002, 01666-225003, मोबाइल नंबर-898121-63045, 98121- 43046, व्हाटस एप नंबर- 98121- 43045, टोल फ्र ी नंबर-1912, 18001804334 जारी किए हुए है।

सबसे बड़ी बात ये है कि इन नंबर पर आसानी से कॉल रिसीब नहीं की जाती, ऐसा भी होता है कि फोन का रिसीवर उठाकर अलग रख दिया जाता है

मोबाइल फोन स्वीच ऑफ आते है, फोन उठा लिया तो हां लाइन मैन को बोलते है आप भी नंबर ले लो, लाइनमैल पहले सी मोबाइल स्वीच आफ करके बैठे रहते है,

चार-चार घंटे तक बिजली आपूर्ति बंद रहती है, गर्मी में सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गो और बच्चों को होती है। व्हाटसएप पर एक गु्रप बना हुआ है

जिसमें सभी पत्रकार, पुलिस प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल है सभी अपनी अपनी शिकायतें इसी गु्रप में डालकर अधिकारियों तक पहुंचाते हैं।

एसई एक्सईएन को संदेश देते है और एक्सईएन हां समाधान करवाते है ऐसा कहकर सो जाते है।

गु्रप में बिजली आपूर्ति को लेकर जितनी भी शिकायत संबंधी चैट है वे ज्यादातर पत्रकारों की ओर से की गई है मजाल है कि किसी शिकायत का समाधान तीन चार घंटे से पहले हुआ हो।

जितना अधिकारियों के बच्चों को गर्मी लगती है उतनी ही आम आदमी के बच्चों को लगती है, अधिकारियों को उनके बारे में भी सोचना चाहिए।

स्टाफ की कमी कहने से बात नहीं बनती वैसे भी सरकार ने चुनाव से पहले बिजली निगम में बंपर भर्ती की है।

बिजली की बढ़ रही है मांग, कम हो रहा है उत्पादन

जैसे-जैसे भीषण गर्मी बढ़ती ही जा रही है वैसे प्रदेश में उत्पादन कम होता जा रहा है जबकि ये चार्ज वो चार्च के नाम पर उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाला जा रहा है, गरीब उपभोक्ता ज्यादा पिस रहा है

जबकि सरकार गरीबों के हितों की बात करती है। मौजूदा समय में 10 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की मांग है, जबकि थर्मल प्लांट जवाब देते जा रही है।

पानीपत थर्मल पावर प्लांट की यूनिट-6 में 210 मेगावाट का उत्पादन होता है जबकि मौजूदा समय में 171 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है।

यूनिट नंबर-7 में 250 मेगावाट का उत्पादन होता हॅैॅ पर अब 186 मेगावाट का ही उत्पादन हो रहा है, यूनिट नंबा आठ में 250 मेगावाट का उत्पादन होता है जबकि 176 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है।

राजीव गांधी खेदड थर्मल प्लांट में यूनिट नंबर एक में 600 मेगावाट का उत्पादन होता है पर मौजूदा समय में 366 मेगावाट का ही उत्पादन हो रहा है, यूनिट नंबर दो में 600 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है पर यह यूनिट बंद पड़ी है।

यमुनानगर थर्मल प्लांट की यूनिट नंबर एक में 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है पर मौजूदा समय में 169 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है,

यूनिट नंबर दो में 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है पर मौजूदा समय में 173 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है। ऐसे हालात में सरकार कै से कह सकती है कि बिजली आपूर्ति मामले में वह नंबर वन है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *