किसी वर्ग में रोड़ी का नहीं विरोध
सिरसा, 29 मार्च। चरणजीत सिंह रोड़ी गांव रोड़ी के निवासी है। पंजाब सीमा से सटे इस गांव में जन्मे चरणजीत सिंह का राजनीतिक सफर गांव की सरपंची से शुरू हो कर सांसद तह पहुंचा। वे वर्ष 2000 में गांव के सरपंच बने। उसके बाद वर्ष 2005 में जिला परिषद के मेंबर बने। ये दोनों ही पद एससी वर्ग के लिए आरक्षित थे।
उसके बाद वर्ष वर्ष 2009 में कालांवाली हलका एससी आरक्षित हो गया। तो वर्ष 2009 में इनेलो के समर्थन से अकाली दल ने चरणजीत सिंह रोड़ी को मैदान में उतारा और वे चुनाव जीते। उसके बाद सिरसा आरक्षित लोकसभा से 2014 में वे इनेलो की टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बने। इस प्रकार उनका राजनीतिक जीवन सरपंची से सांसद तक रहा।
उसके बाद भी 2019 में उन्होंने सिरसा से इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा पर वे हार गए। करीब 25 वर्ष तक का उनका राजनीतिक जीवन काफी संघर्षों भरा रहा। वे हमेशा लोगों से जुड़े रहे। जमीन से नहीं टूटे। उनके संघर्ष को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया।
अब लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने अभी हरियाणा के किसी लोकसभा से प्रत्याशी घोषित नहीं किए है। ऐसे में स्वाभाविक है कि लोगों में कांग्रेस के प्रत्याशी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों के अनुसार कुमारी सैलजा यहां से चुनाव लड़ेंगी। पर अगर कुमारी सैलजा मैदान में नहीं उतरती तो चरणजीत सिंह रोड़ी का नाम इस सूची में आने की प्रबल संभावना है।
चरणजीत सिंी रोड़ी दो बार सिरसा लोकसभा का चुनाव लड़ चुके है और एक बार जीते भी है। ऐसे में इस सीट के सभी नौ विधानसभा हलकों में उनके समर्थकों की संख्या काफी है। वे कई बार सिरसा लोकसभा हलके के पूरे क्षेत्र की जमीन अच्छी तरह से नाप चुके है। खास बात यह भी है कि उनका किसी प्रकार का विरोध भी हलका में नहीं है।
पगड़ीधारी होने का अलग से लाभ चरणजीत सिंह रोड़ी को मिल सकता है क्योंकि पूरे क्षेत्र में सिख वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। इस बारे में चरणजीत सिंह रोड़ी कहते है कि अगर पार्टी उन्हें मैदान में उतारती है तो वे जीजान लगा कर चुनावी रण में उतरेंगे और परिणाम सुखद देने के प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि फिलहाल समर्थकों के फोन आ रहे है उनको मैं यही कह रहा हूं कि पार्टी जिसको भी मौका देती है उसका तन-मन-धन से साथ देना है। बता दें कि एक अखबार द्वारा कांग्रेस प्रत्याशियों को लेकर किए गए सर्वे में भी चरणजीत सिंह रोड़ी का कुमारी सैलजा के बाद दूसरे स्थान पर नाम आया है।