चंडीगढ, 23 मार्च। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की असीम अनुकंपा से 24वें निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टुर्नामेंट का समापन संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा मैदान में हुआ। इस टूर्नामेंट का शुभारंभ गत 25 फरवरी को हुआ था। इस प्रतियोगिता में देश के लगभग सभी राज्यों से 48 टीमें चयनित हुई जिसमें युवा प्रतिभागियों ने अत्यंत उत्साहपूर्वक भाग लिया।
क्रिकेट टुर्नामेंट के सेमी फाइनल चरण में श्रीगंगानगर (राजस्थान), हिसार (हरियाणा), आगरा (उत्तर प्रदेश) एवं फाजिलका (पंजाब) से चार राज्यों की टीमें चयनित हुई। 21 मार्च को अंतिम चरण (फाइनल राउॅड) की प्रतियोगिता श्रीगंगानगर एवं फाजिलका के बीच हुई; जिसमें श्रीगंगानगर टीम ने विजेता ट्रॉफी प्राप्त की। इस क्रिकेट टुर्नामेंट में मैन आफ द सिरिज का खिताब खिलाडी दीपक राजपूत (आगरा) को मिला। भ्रातृभाव अथवा जीवन के श्रेष्ठ गुणों का सुंदर स्वरूप इस क्रिकेट टुर्नामेंट के मैदान में दृश्यमान हुआ।
टुर्नामेंट का आयोजन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के निर्देशानुसार जोगिंदर सुखीजा (सचिव, संत निरंकारी मंडल) के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने बताया कि सभी खिलाडियों में किसी प्रकार की कोई प्रतिस्पर्धा, द्वेष एवं एक दूसरे को हतोत्साहित करने की संकीर्ण भावना नहीं दिखी अपितु उनमें केवल आपसी सौहार्द्र एवं प्रेम ही देखने को मिला। सभी खिलाडियों ने खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जिसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट देकर सम्मानित भी किया गया।
टूर्नामेंट के समापन पर मुख्य अतिथि संत निरंकारी मंडल के मेंबर इंचार्ज राकेश मुटरेजा द्वारा विजेता टीम को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। खिलाडियों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक खिलाडी खेल के महत्व को समझें न कि हार जीत की भावना में रहे। इस प्रतियोगिता में सभी खिलाडियों ने अपनी सकारात्मक युवा ऊर्जा के साथ-साथ अनुशासन, मर्यादा एवं सहनशीलता का सुंदर परिचय प्रदर्शित किया जिसकी वर्तमान समय में नितांत आवश्यकता भी है।
आज जहां हर ओर एक मनुष्य दूसरे मनुष्य को केवल पीडा ही पहुंचा रहा है और उसका अहित करने में लगा हुआ है; ऐसे समय में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की दी गयी सिखलाईयों से प्रेरणा लेते हुए इस टुर्नामेंट में खिलाडियों द्वारा प्रेम एवं मिलवर्तन का एक ऐसा अदभुत उदाहरण प्र्रदर्शित किया गया जो निश्चित रूप में प्रशंसनीय एवं सराहनीय है। इन खेलों का मूल उद्देश्य सभी में एकत्व, विश्वबन्धुत्व एवं आपसी भाईचारे की सुंदर भावना को स्थापित करना है।