सिरसा। हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणाम बड़े ही चौकाने वाले आए। मीडिया, सर्वे एजेंसियां, सट्टा बाजार सहित सभी का अनुमान था कि कांग्रेस की एकतरफा सरकार बनने जा रही है।
पर जब परिणाम आए तो बहुमत के साथ बीजेपी बाजी मार गई। इसके पिछे कई कारण है कि बीजेपी ने हारी हुई बाजी को पलट दिया और सत्ता पर काबिज होने में सफलता हासिल कर ली।
कई कारणों में से हम दो कारणों पर ही चर्चा करेंगे जिनके चलते बीजेपी के कदम जीत की ओर बढ़े। इसके लिए डबल डी यानी डेरा सच्चा सौदा व डीएससी को भी बड़े कारण माने जा सकते हैं।
जी हां इस बार डेरा सच्चा सौदा के प्रेमियों को इस प्रकार से मैसेज किए गए थे कि वे वोट बीजेपी को करें। जहां बीजेपी फाइट में नहीं है वहां कांग्रेस को हराने वाले प्रत्याशी को वोट डलवाए गए।
वोट डायवर्ट करने में डेरा की राजनीतिक विंग के मैसेज का इतना असर पहले कभी नहीं दिखा पर इस बार डेरा के जिम्मेवार लोगों की तरफ से मैसेज किए गए जिस का प्रेमियों पर ज्यादा असर हुआ।
दूसरे डी की बात करें तो डीएससी यानी वंचित अनुसूचित जाति। इस वर्ग में एससी की 40 से अधिक जातियां हैं। इस जाति के लोग एक जाति विशेष के दलित नेताओं को इस बार सबक सिखाने के मूड में थे जो सारी एससी जातियों का ठेका ले लेते हैं।
डीएससी चाहती थी कि हम अपने वर्ग के दलित नेताओं का कद बढ़ाएंगे ताकि अब तक जो लोग दलित वर्ग के ठेकेदार बने हुए थे उनकी हवा निकल जाए और राजनीतिक पार्टियों को यह पता लग सके कि हमारी ताकत क्या है।
इस वर्ग ने चुनाव के दौरान अभियान चला कर एससी वर्ग की 40 से अधिक जातियों को संदेश दिया कि कांग्रेस के खिलाफ वोटिंग करके कांग्रेस को यह बता दें कि उनके पास जो दलित नेता के रूप में चेहरे हैं वे एक जाति विशेष से संबंधित हैं।
कभी भी हमारी पैरवी उन्होंने सत्ता में नहीं की। इस लिए इस बार वोट उनके खिलाफ करें। डीएससी की बैठकें हुई रैली भी हुई जिसमें हजारों की संख्या में लोग जुटे। पर सभी पार्टियां इस वर्ग को चुनावों में हलके में लेती रही।