परिणाम: अब कालांवाली से बीजेपी की स्थिति कमजोर, जिले की सभी सीटों पर बीजेपी नहीं दिख रही किसी सीन में
सिरसा, 30 सितंबर। वर्ष 2019 की बात है। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल कालांवाली में सभा को संबोधित कर रहे थे।
क्षेत्र में नशा गंभीर मुद्दा है। उन्होंने नशे पर अपने विचार रखे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि हमें नहीं मालूम कि हमारा ही आदमी इसमें (नशे के कारोबार में) संलिप्त है। फिर उन्होंने नाम लेने से भी गुरेज नहीं किया।
उन्होंने नाम भी बता ही देता हूं। राजेंद्र देसूजोधा। यानी बीजेपी मान चुकी थी के राजेंद्र देसूजोधा के कारण पार्टी को नुकसान हो रहा है। उसके बाद राजेंद्र देसूजोधा ने पार्टी छोड़ दी।
पर चुनाव के कुछ दिन पूर्व उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री की उपस्थिति में भाजपा का दामन थाम लिया। और पार्टी ने उन्हें कालांवाली से टिकट देकर मैदान में भी उतार दिया।
जिस नेता के बारे में मुख्यमंत्री स्वयं ऐसी बात बोल गए हों उसकी को वही पार्टी अपना उम्मीदवार बनाती है तो स्वाभाविक है कि लोगों में पार्टी के प्रति रोष बढ़ गया। इस का असर नेताओं पर भी पड़ा।
पूर्व विधायक बलकौर सिंह, वरिष्ठ नेता हरदयाल सिंह गदराना सहित दर्जनों गांवों के सरपंचों ने भाजपा को अलविदा कह दिया। कुछ चुप रह कर भी पार्टी के फैसले का विरोध जता रहे हैं। इस का असर जिले की अन्य सीटों पर भी पड़ता दिख रहा है।
लोगों का मानना है कि भाजपा ने टिकट के बंटवारे के दौरान सही प्रत्याशियों का चयन नहीं किया। स्थिति यह बन गई है कि भाजपा के उम्मीदवार तीसरे और चौथे स्थान पर दिख रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि भाजपा के पास कालांवाली से कोई नेता ऐसा नहीं था जिसको टिकट दी जाए, पर राजेंद्र देसूजोधा को टिकट देना पार्टी की क्या मजबूरी होगी यह भी एक सवाल है।
खैर यह भाजपा का अंदरूनी मामला है पर हलके में लोगों में भाजपा के प्रति इस बात को लेकर नाराजगी बढ़ गई है कि पार्टी ने कैंडिडेट ऐसे व्यक्ति को दे दी जिस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं तत्कालीन सीएम नशे के कारोबार में संलिप्त होने के आरोप लगाए हों।
बता दें कि कालांवाली क्षेत्र में नशा गंभीर मुद्दा है और लोग नशा बेचने वालों से परेशान हैं क्योंकि युवा वर्ग नशे की गर्त में फंस कर अपनी जिंदगी को तबाह कर लेते हैं।