सिरसा। पंजाबी गीत तेरे यार नूं सब दबण नूं फिरदे सी पर दबदा किथे आ के बोल सिरसा में गोकुल सेतिया पर स्टीक बैठते दिख रहे हैं।
जी हां हरियाणा विधानसभा चुनाव-2014 के तहत कांग्रेस पार्टी ने गोकुल सेतिया को सिरसा से अपना प्रत्याशी बना कर मैदान में उतारा हुआ है।
गोकुल को पटखनी देने के लिए मैदान में उतरे हलोपा के गोपाल कांडा को जब लगा कि इस बार सिरसा का चुनाव फंसता दिख रहा है तो गोपाल कांडा ने इनेलो के साथ हाथ मिला लिया।
इसके बाद इनेलो के साथ-साथ बसपा का भी उनके साथ गठबंधन हो गया क्योंकि बसपा का इनेलो के साथ पहले से ही गठबंधन है। इसी तरह भाजपा ने अपनी बुरी स्थिति को भांपते हुए अपना प्रत्याशी मैदान से हटा लिया।
अब गोकुल को हराने के लिए हलोपा, इनेलो, बसपा, भाजपा ताकत लगाए हुए हैं। पर बावजूद इसके गोकुल की आज तक बढ़त बनी हुई है।
अब शाम-दाम-दंड भेद वाली रणनीति भी अपनाई जाने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। गोकुल सेतिया के अब तक चुनाव उठे रहने के पीछे तीन बड़े कारण है, किसान वोट बैंक में अच्छी खासी सेंधमारी, कांग्रेस की लहर और पंजाबी वोटरों का साथ।
तीनों ही बड़े वोट बैंक हैं। हालांकि चुनावों में अभी छह दिन शेष ऐसे में परिस्थितियां बदल भी सकती हैं पर अब तक गोकुल को चुनाव उठा हुआ प्रतीत हो रहा है।
गोपाल कांडा के समीकरणों की बात करें तो उनसे किसान वोट बैंक नाराज था पर इनेलो का साथ मिलने से उनकी किसान वोट बैंक में सेंधमारी हो गई है। बनिया वोट बैंक ज्यादातर गोपाल कांडा के साथ है।
बसपा के कारण उनको दलित वोट बैंक में भी लाभ मिल सकता है। भाजपा के पास गोपाल के अलावा कोई दूसरी जगह ही नहीं है। इस लिए मजबूरी में ही सही पर भाजपा को गोपाल को भी वोट देने पडेंगे।