- मतदाताओं का मिजाज सिरसा विधानसभा में क्या खिलाएगा गुल ?
सिरसा। राजनीति सह और मात का खेल है। रण में कूदने वाला जीतने के लिए साम-दाम-दंड भेद सभी हथकंडे अपनाने से जरा भी गुरेज नहीं करता। हरियाणा में विधानसभा चुनावों का रण पूरी तरह से यौवन में पहुंच गया है। अब एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए साम-दाम-दंड भेद का खेल शुरू होने वाला है।
बात सिरसा विधानसभा की करें तो दो प्रत्याशियों के बीच मुकाबला रोचक बनता जा रहा है। हलोपा के गोपाल कांडा व कांग्रेस के गोकुल सेतिया के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है।- इस बार तीसरे या चौथे नंबर वाले कैंडिडेट को बहुत ही कम वोट मिलने की संभावना है इस लिए नंबर एक पर आने के लिए करीब 80 हजार वोटों की जरूर है। ऐसे में अधिक से अधिक वोट हथियाने के लिए दोनों ही कैंडिडेटों ने पूरी ताकत झोंक दी है।
अब बात करते हैं नफे-नुकसान की। गोपाल कांडा हलोपा के कैंडिडेट हैं। उनको इनेलो-बसपा गठबंधन का समर्थन मिला तो मजबूती भी मिली। उसके बाद भाजपा ने गोपाल कांडा की जीत को सुनिश्चित करने के लिए गेम प्लान के तहत अपना उम्मीदवार है मैदान से हटा लिया। - पर इसका गोपाल कांडा को लाभ होगा या नुकसान यह तो आने वाला वक्त बताएगा। पर कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि बीजेपी से लोगों की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में बीजेपी का समर्थन मिलना गोपाल कांडा को नुकसान पहुंचा सकता है ऐसी संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
इसी तरह कांग्रेस की लहर के भरोसे में उड़ रहे गोकुल सेतिया इस बार जीत को लेकर पूरे आश्वस्त दिख रहे हैं। उनके समर्थकों में हौसला भी बना हुआ है। बीजेपी की नाराजगी और कांग्रेस की लहर गोकुल को जीत की ओर अग्रसर कर सकती है। पर सवाल यह खड़ा होता है कि क्या गोकुल भीतरघात से बच पाएंगे?- जिस प्रकार गोकुल को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करते ही टिकट मिल गई। ऐसे में उन नेताओं के अरमानों पर पानी फिर गया जो वर्षों से पार्टी का झंडा उठाकर चलते रहे और एक दिन उनको टिकट मिलेगी ऐसी आस लगाए बैठे थे।
- हालांकि ज्यादा टिकट के चाह्वानों ने गोकुल के समर्थन का ऐलान कर दिया है पर उन नेताओं के काफी वर्करों के गले से यह बात आज भी नहीं उतर रही कि अगर गोकुल जीत जाते हैं तो भविष्य में किसी दूसरे नेता को टिकट मिलेगी।
अभी यही कहा सकता है कि अगर गोपाल कांडा बीजेपी के समर्थन से होने वाले नुकसान से बच गए तो भारी पड़ सकते हैं और भीतरघात से बच गए भारी पड़ गोकुल का पलड़ा भारी हो सकता है। बहरहाल दोनों ही प्रत्याशी मैदान में भौहें तानते दिख रहे हैं।