सिरसा, 21 सितंबर। हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर सभी पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। पर सिरसा व फतेहाबाद जिलों की बात करें तो भाजपा किसी भी सीट पर जीत की स्थिति में नहीं दिख रही। या यूं कहें कि एक-आध सीट को छोडक़र दूसरे नंबर पर भी नजर नहीं आ रही तो शायद को कोई गल्त नहीं होगा।
दरअसल हरियाणा में लगातार 10 साल से सत्ता में काबिज भाजपा का ओवर कोंफिडेंस इतना बढ़ गया था कि जनता की तकलीफें नजर आना ही बंद हो गई थी।
किसानों का विरोध व लोगों की नाराजगी के कारण भाजपा के खिलाफ प्रदेश में माहौल बन गया। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि सिरसा जिला में अधिकतम सीटों पर भाजपा दूसरे स्थान पर भी नहीं दिख रही।
सिरसा में भाजपा की स्थिति इतनी दयनीय हो गई थी कि भाजपा को अपना कैंडिडेट ही सरेंडर करना पड़ा। सिरसा से 1996 में सिर्फ एक बार ही भाजपा का विजय प्राप्त हो सकी थी। उसके बाद कमल नहीं खिला।
इसके बाद बात ऐलनाबाद की करें तो इनेलो व कांग्रेस में टक्कर है। यहां अगर भाजपा अपनी जमानत भी बचा ले तो शायद बड़ी बात होगी।
ऐलनाबाद में भाजपा के तीसरे स्थान पर रहने की संभावनाएं जताई जा रही है पर दूसरे स्थान पर रहने वाले प्रत्याशी से काफी अंतर से भाजपा के पीछे रहने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
इसी प्रकार रानियां में इनेलो का चुनाव सबसे अधिक उठा हुआ है। अब देखना यह है कि इनेलो की टक्टर में आम आदमी पार्टी, आजाद प्रत्याशी रणजीत सिंह व कांग्रेस में कौन से रहेगा। यहां भी बीजेपी के कैंडिडेट की जमानत बचने के आसार नजर नहीं आ रहे।
डबवाली में मुकाबला रोचक है। यहां से कांग्रेस, इनेलो, आम आदमी पार्टी व जेजेपी में चौकोना मुकाबला बना हुआ है। यहां से ये चारों ही पार्टियां अच्छे वोट हासिल करने की स्थिति में है। ऐसी संभावनाएं जताई जा रही है कि यहां से बीजेपी चौथे या पांचवें स्थान पर रह कर अपनी जमानत बचा पाती है या नहीं।
कालांवाली में तिकोने मुकाबले में कांग्रेस के प्रत्याशी शिश पाल केहरवाला बेहतर स्थिति बनाए हुए हैं। यहां से भाजपा के कैंडिडेट व इनेलो के बीच संघर्ष चल रहा है कि दोनों में से कौन सा दूसरा स्थान हासिल करे।
इसी प्रकार रतिया, टोहाना में भाजपा कांग्रेस से काफी पीछे दिख रही है। बात फतेहाबाद की करें तो यहां से भाजपा कैंडिडेट कुछ टक्कर देने की स्थिति में है पर विनिंग कंडीशन में नहीं दिख रहे।