किसानों को राबड़ी पीकर सोने की बात कहने वाले नेताओं से अब मांगेंगे जवाब

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सिरसा। भारतीय किसान एकता बीकेई की मीटिंग शुक्रवार को बीकेई प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख की अध्यक्षता में आयोजित की गई।

मीटिंग को संबोधित करते हुए लखविंद्र सिंह औलख ने कहा कि हरियाणा में 5 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि अब सही समय आ गया है कि किसान विरोधी चेहरों को जनता के सामने लाएं।

अब हमारी टीमों द्वारा गांव-गांव जाकर इन राजनेताओं द्वारा किसानों पर करवाए गए अत्याचारों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा।

इसके अलावा 18 सितंबर से डबवाली के गांव गंगा से किसान मांगे इंसाफ यात्रा शुरू की जाएगी। औलख ने कहा कि 5

अक्तूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं और अपने आप को किसानों के मसीहा बताने वाले लोग एक बार फिर से आपके पास वोटों के लिए आएंगे।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 2020 में तीन काले कानून किसानी को खत्म करने के लिए जबरन थोपे, लेकिन किसानों ने दिल्ली में लगातार 378 दिन तक आंदोलन चलाकर सरकार को तीनों काले कानून वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया।

इसके बाद 13 फरवरी 2024 से फिर से शंभू बॉर्डर, खनौरी व रतनपुरा बॉर्डर पर कर्जा माफी एमएसपी, लखीमपुरी के शहीदों को इंसाफ सहित 12 मांगों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं।

किसान नेता लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि जिन लोगों ने खनौरी, शंभु बॉर्डर पर किसानों पर सीधी गोलियां चलाई, वही लोग दोबारा से फिर आएंगे

इन लोगों के चक्कर में किसान अपना भाईचारा खराब न करें। उन्होंने कहा कि जब ये लोग वोट मांगने के लिए आएं तो इनसे किसान आंदोलन में शहीद व घायल हुए किसानों के बारे में याद रखें।

औलख ने कहा कि हमें किसी भी राजनीतिक दल को हराने या जिताने की बात नहीं करनी। अपनी बातें रखनी है। उन्होंने कहा कि जो आदित्य चौटाला बीजेपी में रहकर सरेआम मंच से कहता था

कि जो लोग ये सोच रहे हैं कि तीनों कृषि कानून वापिस हो जाएंगेए वो राबड़ी पीकर सो जाओ। वही आदित्य चौटाला अब बीजेपी को छोडकर इनेलो में आकर किसानों का मसीहा बनने की बात कर रहा है।

दिग्विजय चौटाला पर कटाक्ष करते हुए औलख ने कहा कि डबवाली के विकास की बात करने वाले दिग्विजय चौटाला रामा रिफाइनरी में जाकर कहते हैं कि इसके धुंए से आसपास के गांवों को नुकसान हो रहा है,

क्योंकि वहां से इन्हें फंडिंग नहीं मिलती, जबकि गांव पन्नीवाला रूलदू में ई-20 ग्रीन इथेनॉल के नाम से बनी फैक्ट्री से आसपास के गांवों का जीवन नर्क बना हुआ है।

वो इन्हें नहीं दिखता। क्योंकि वहां से इन्हें बड़ी फंडिंग मिलती है। इन्हीं लोगों ने किसान आंदोलन को एक बिमारी बताया था।
डबवाली व कालांवाली में विकास की बात करने वाले इन लोगों ने कालांवाली में भ्रष्टाचार का नंगा नाच करवाया।

तहसीलदार द्वारा लोगों से सरेआम पैसे लिए जाते थे और पूछने पर वह डिप्टी सीएम का ही नाम लेता था। ऐसे लोग किसान हितैषी नहीं हो सकते।

औलख ने किसानों से आह्वान किया कि ये सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं, इन लोगों की बातों में आकर आपने अपना भाईचारा खराब नहीं करना है।

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