हवा के रुख के साथ बदलते नेताओं की भरमार

नेताओं | Khabrain Hindustan | Election | हवा के रुख के साथ बदलते |

राज के पूत होने लगे हवा के साथ

सिरसा। हरियाणा में विधानसभा चुनावों की रणभेरी बजते ही नेताओं में बेचैनी शुरू हो गई थी। कुछ माह पहले से ही नेता लोग हवा के रूख को समझने में मशगूल हो गए थे।

और लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद नेताओं को यह समझ में आ गया था कि इस बार हरियाणा में इस बार किस पार्टी की सरकार बनने जा रही है। बस यहीं से शुरू होता है सुर में सुर मिलाने का।

अपने-अपने संपर्कों के माध्यम से एक विशेष पार्टी के साथ तालमेल शुरू करने का सिलसिला शुरू हो गया। ऐसी स्थिति में उनको बहाना ही चाहिए था

सत्ता की दहलीज के निकट पहुंची पार्टी में प्रवेश करना का। ऐसा ही होने लगा। पिछले कई दिनों से विभिन्न पार्टियों के नेताओं की एक ही पार्टी में जाने की बाढ़ सी आई हुई है।

हर रोज नेता लोग एक विशेष पार्टी को ज्वाइन कर रहे हैं। करें भी क्यों वे राज पूत जो हैं, यानी जिसका राज उसी के पूत। टिकट न भी मिले तो कम से कम पांच साल सत्ता में रहने का मौका तो मिलेगा ही।

कहीं न कहीं जुगाड़ फिट कर कोई चेयरमैनी या कोई फोन खनकाने वाला पद भी मिल जाए इसी उम्मीद में भी नेता लोग एक ही पार्टी की छत नीचे आ रहे हैं।

साथ ही पार्टी से नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में अनदेखी का आरोप लगा कर आंखें दिखाने का मौका भी मिल रहा है। भाजपा की स्थिति तो ऐसी बन गई है कि रोज नाराज नेताओं को मनाने की सूची लंबी होती जा रही है।

बड़े नेता किस किस के दर पर जाकर मनाएं और उनको मनाएं भी कैसे, यह भी इन दिनों भाजपा के बड़े नेताओं के सामने बड़ी चुनौती बन गई है।

अब भाजपा नेता चुनाव का प्रचार करें या फिर रूठों को मनाते फिरें इनमें से क्या करें इस पर भी मंथन जरूरी हो गया है। ऊपर से किसानों की नाराजगी भाजपा के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी बनेगी इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

इनेलो और जेजेपी ने लगाई टकटकी

दरअसल इनेलो और जेजेपी नेता इस बात की टकटकी लगाए बैठे कि भाजपा या कांग्रेस में नाराज होने वाले नेता उनकी छतरी के नीचे जाए।

जिन नेताओं को कांग्रेस या भाजपा में टिकट नहीं मिलती उनमें से हर हाल में चुनाव लड़ने का मन बना चुके कुछ नेता इनेलो या जेजेपी का दामन थाम सकते हैं ऐसी भी प्रबल संभावनाएं बनी हुई है।

इसी लिए सभी पार्टियों ने अब तक सभी सीटों के लिए प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारे। खैर 12 सितंबर नामांकन का आखिरी दिन है ऐसे में आने वाले तीन दिन दल बदलने का मौसम बहुत खास रहने वाला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *