साफ बात

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टिकट बिना सेवा होती नहीं, सेवा बिना रह नहीं सकते

7 सितंबर l 
नेता तो नेता ही होते हैं खुद चाहे एक ही रात में तीन दल बदल लें, मगर समर्थक अगर विरोधी की गली से भी गुजर जाए तो अपराधी। टिकट कटा नहीं कि पाला बदल लिया।  

पूरे प्रदेश में भगदड़ मची हुई है।  घंटा पहले जो तारीफ करते नहीं थकते थे, अब निंदा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।
खुद सांसद फिर भी माताजी के लिए टिकट चाहिए।

जिन्होंने 10 साल सत्ता सुख भोगा और महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री बन खूब मलाई चाटी। टिकट नहीं मिला तो इतना आग बबूला कि खुला ऐलान भाजपा उम्मीदवारों को हराकर ही दम लेंगे।

एक दिन पहले चमची मारते नहीं थकते थे, अब मुख्यमंत्री से हाथ मिलना भी मंजूर नहीं। नेता लोग खूब घडिय़ाल आंसू बहा रहे हैं।  क्या सहानुभूति मिलेगी? जनता सब जानती है।

एक बात तो है पार्टी छोड़ने वाले है तो दल-बदलू ही। पहले भी तो दल-बदल कर ही भाजपा में आए थे।  इन्हें तो भाई सेवा करनी है। बिना टिकट मिले सेवा इन से होती नहीं और सेवा के बिना रह नहीं सकते।

साफ बात है कि कांग्रेस में भी भगदड़ होने का अंदेशा है लिस्ट जारी होने में देरी का एक कारण यह भी है। वैसे सारा दोष नेताओं का भी नहीं है, आजकल हवा ही कुछ ऐसी चल रही है।

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