डाक्टर साहब को समाज सेवा के लिए चाहिए टिकट
4 सितंबर 2024
तीन दशक पहले रानियां में सरकारी नौकरी कर चुके डॉक्टर साहब अब राजनीति में उतरे हैं। बेटे की ससुराल में दूर के रिश्तेदार की बदौलत अपने आप को वरिष्ठ कांग्रेस नेता बताने वाले डॉक्टर साहब को पार्टी का टिकट चाहिए,
वह भी रानियां हल्के से, जहां दशकों पहले मात्र चार साल कार्य किया था। डॉक्टर साहब सिरसा से टिकट नहीं मांग रहे हैं, जहां उन्होंने 24 साल का लंबा जीवन बिताया है।
मात्र एक साल पहले 17 अगस्त 2023 को राजनीति में आए डाक्टर साहब दावा करते हैं कि राजनीति मेें आने का एक ही मकसद है, समाज सेवा करना।
किसी के भी उद्देश्य को लेकर सवाल नहीं किया जाना चाहिए, मगर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो लोग सवाल तो पूछेंगे, अगर सेवा ही करनी थी तो फिर डॉक्टर की सरकारी नौकरी से बढिय़ा और क्या था?
फिर तो विरोधी भी पूछेंगे कि सरकारी नौकरी छोड़ 24 साल तक अपना निजी हॉस्पिटल चलाया और खूब धन कमाया, सेवा ही करनी थी
तो मुफ्त में लोगों का इलाज करते और पुण्य के भागीदार बनते, हालांंकि डॉक्टर साहब अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न संस्थाओं से जुड़े होने और समाजसेवी होने का दावा करते हैं।
लोकसभा चुनाव से दो माह पहले अचानक रानियां क्षेत्र में सक्रिय हुए डाक्टर नेता पैसा खूब खर्च कर रहें हैं। दर्जन आधा दर्जन युवाओं की टीम घर-घर जाकर प्रचार और अपने स्तर पर कई तरह के सर्वे कर रहें है।
पोस्टर भी अच्छे लगवाए थे। मधुरभाषी डाक्टर नेता जगह-जगह जाकर चाय पी लोगों से व्यक्त्गित संबध बना रहें हैं।
एक बात तो है टिकट के लिए डॉक्टर साहब पार्टी के सभी गुटों से गोटियां फिट कर रहे हैं। रिश्तेदार नेता अपनी जगह है, दीपेन्द्र हुड्डा के समक्ष पार्टी ज्यावनिंग, डाक्टर केवी सिंह को अपना गुरू बता दिन-रात का संपर्क बनाए हुए है।
रानियां के एक अन्य डॉक्टर साहब और सिरसा के एक एडवोकेट नेता रानियां वाले को साथ लेकर सांसद बहन जी से भी मेलजोल बना रखा है। रोहतक वाले पंडित जी से भी डाक्टर साहब को बहुत उम्मीद है।
रोहतक छोड़ आजकल दिल्ली में रहन बसेरा बनाए हुए पंडित जी राजनीति के मंजे खिलाड़ी है। खेलों से विशेष लगाव रखने वाले पंडित जी ने पूरे देश में अपने शार्गिदों का जाल बिछा रखा है।
पार्टी का ऑव्जर्बर बनकर जहां भी जाते है अपनी बड़ी-बड़ी बातों से नए चेले बना लेते हैं।
पंडित जी न केवल पार्टी हाईकमान (दिल्ली वाले भाई-बहन और माता जी) से सीधे रिश्ते होने बल्कि अन्य दलों के भी बड़े नेताओं के साथ व्यक्तिगत संबध होने का बड़ा दावा सरेआम करते हंै।
अन्दर की बात है मौके पर भाजपा में है एक बड़े नेता भी दो चार दिन पहले इन्ही पंडित जी के जाल में फसें हुए थे।
साफ बात यह है कि टिकट तो काहे का मिलना-मिलाना लेकिन डॉक्टर साहब की मेहनत बेकार नहीं जायेगी।
क्षेत्र में घूम-घूम कर जो पसीना बहाया है, उसका लाभ उनके निजी हॉस्पिटल में जरूर देखने को मिलेगा ।