2 सितंबर 2024
थोड़ी गर्मी दिखाने के बाद अब बड़े नेता जी शांत है। कभी देश का शासन चलाने वाले नेताजी के आगे टिकट लेने वालों की लाइन लगी रहती थी। दिनों का फेर ऐसा है कि अब खुद की टिकट मांगनी पड़ रही है ।
नेताजी ने पार्टी को आंख दिखा दी है कि अगर टिकट न मिला तो उनके भी समर्थक हर कोने में है। चुनाव तो वह लड़ेंगे ही, वह भी रानियां हल्के से । नेताजी के सभी पार्टियों के बड़े नेताओं से अच्छे संबंध हैं ।
बड़ी पार्टियों के पास भी नेताजी जैसे बड़े कद का कोई उम्मीदवार नहीं है। फिर भी नेता जी को टिकट की ठोस गारंटी नहीं मिल रही है। फिलहाल नेताजी आश्वासन पर उम्मीद लगाए हुए हैं।
सत्ताधारी दल नेताजी पर पैनी नजर रखे हुए हैं। अलग-अलग एजेंसियों से फीडबैक लिया जा रहा है। नेताजी की टेडी नजर होते ही गुप्तचर विभाग भी सक्रिय हो गया।
प्रदेश मुख्यालय से विभाग के बड़े अधिकारी ने ग्राउंड जीरो पर जाकर जोड़ घटकर रिपोर्ट बनाई। अगर नेताजी दल-बदल कर टिकट लाते हैं तो पार्टी का नफा नुकसान कितना होगा।
चर्चा है कि नेताजी की दोनों राष्ट्रीय पार्टीयों के बड़े नेताओ (हाईकमान) से मुलाकातें हो चुकी है। दोनों दलों से टिकट मांग रखी है।
चुनावी तैयारियों को लेकर हलके का दौरा भी कर चुके हैं और समर्थकों से विचार विमर्श भी। अब टिकट की आस में दिल्ली डेरा जमाए हुए हैं ।
एक बात तो है नेताजी ने दूसरे दल की तरफ इशारा क्या किया कि उस पार्टी के टिकट चाहवानों की नींद उड़ा दी। नेता जी का बडवोलापन कितना नुकसान करता है
या नफा देता यह तो आने वाला समय बतायेगा। मगर इतना जरूर है कि महल वाले नेताजी के कार्यालय खोलने की जोर शोर से चल रही तैयारियां धरी रह गई।
साफ बात है बड़े दलों से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लडऩा इस बार आसान न होगा। पिछली बार हालात कुछ अलग थे। अनेकों चुनाव हारने के कारण सहानुभूति लहर भी थी और परिवार का साथ भी खूब मिला।
सरकार में रहने के कारण कुछ नाराजगी तो होती ही है, और परिवार ने भी इस बार अपना मजबूत खूंटा गाढ़ दिया है।