कांग्रेस के बहुमत के आंकड़े को रोकने के लिए भाजपा लगाएगी ताकत
सिरसा। हरियाणा में जैसे-जैसे विधानसभा चुनावों की तिथि नजदीक आ रही है वैसे-वैसे प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ रही हैं।
चौपालों पर चर्चाओं के बाजार गर्म होने लगे है। हर आदमी की जुबान पर चुनावी चर्चा ही चढ़ी हुई है। इस बार भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है।
लगातार दस साल सत्ता में रहने पर भाजपा को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही किसान फेक्टर भी भाजपा को नुकसान कर सकता है।
भ्रष्टाचार को खत्म करने के नारे पर 2014 में सत्ता में आई भाजपा अपने कार्यकाल के दौरान दस सालों में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में भी कामयाब नहीं रही।
सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार रूपी रावण का कद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हर प्रकार के सरकारी काम में भ्रष्टाचार सिर चढ़ कर बोल रहा है। इस लिए भी लोगों के मन से भाजपा निकल चुकी है।
भाजपा में हर सीट पर एक से ज्यादा टिकटार्थी होने के कारण भी टिकट कटने वालों की तरफ से बगावती तेवर दिखाए जा सकते है जिसका सीधा असर चुनाव परिणाम पर ही पड़ेगा।
चुनावों में सह और मात का हर खेल खेलने में माहिर जाने वाली भाजपा इस बार भी कांग्रेस को बहुमत के आंकड़े से तले रखने के लिए अन्य के साथ ताल मिला सकती है।
क्योंकि जितने ज्यादा अन्य जीतेंगे कांग्रेस का आंकडा उतना ही कम होने की संभावना बन सकती है।
इस चुनाव में कई सीटों पर मिच्युल गेम होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
बात अगर कांग्रेस की करें तो भीतर की रार कांग्रेस का पुराना कल्चर रहा है। इस बार भी एक सीट पर कई कई टिकटार्थी पार्टी की टिकट की टकटकी लगाए बैठे हैं।
ऐसे में जिन नेताओं की टिकट नहीं मिली उनमें से कुछ दूसरी पार्टियों की टिकट पर तो कुछ आजाद भी चुनाव लड़ सकते है।
इसके अलावा कुछ नेता पार्टी के भीतर रह कर भी भीतरघात कर सकते है। ऐसे में कांग्रेस को अपनी अच्छी हवा होने के बावजूद नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा मार ही कांग्रेस से पड़ती रही है। ऊपर से अब सीएम की कुर्सी के लिए भी तना तनी होनी शुरू हो गई है।
ऐसे में पब्लिक पर जो असर पड़ेगा उससे कांग्रेस को नुकसान के सिवाय कुछ हासिल नहीं होने वाला।
लोकसभा चुनाव के बाद अगल रास्ते पर चल रही आम आदमी पार्टी काफी हलकों में अपने अच्छे खासे वोट हासिल करेगी जिससे कांग्रेस का वोट बैंक कम हो सकता है।