बीजेपी की झोली में बैठने से कांडा बंधुओं को भुगतना पड़ सकता है किसानों की नाराजगी का खामियाजा

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चुनाव नजदीक आते ही याद आए धार्मिक कार्यक्रम

कार्यक्रमों में कटती हैं लोगों की जेबें, महिलाओं के गले से चेनें

सिरसा। हरियाणा में विधानसभा चुनाव में लगभग दो माह शेष रह गए है। ऐसे में सिरसा विधानसभा सीट पर सरगर्मियां तेज हो गई है। कांडा बंधुओं की गतिविधियां भी तेज होती दिख रही है।

इसी कड़ी में कांडा बंधु कोई न कोई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन कर अपनी छवि धार्मिक बनाने की करते हैं। ताकि मतदाताओं में उनका प्रभाव बना रहे।

अब फिर एक धार्मिक कार्यक्रम कांडा बंधुओं की तरफ से करवाया जाना है। सवाल यह है कि इस बार इस प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम कांडा बंधुओं की नैय्या पार लगा पाएंगे? क्या लोग अब तक इसको समझ नहीं पाए हैं?

बगैरा बगैरा कई सवाल है। पर सिरसा के मौजूदा विधायक गोपाल कांडा की पिछले पांच सालों में सिरसा में हाजिरी नाममात्र की रही है। ऐसे में लोग अपने विधायक को मिल भी नहीं सके। अपना समस्या किस के आगे रखें?

इसका जबाव शायद अब विधानसभा चुनावों में जनता देगी। इस बार लोगों की तरफ से भी आवाज आ रही कि ऐसे व्यक्ति को विधायक बनाने का क्या फायदा जिससे हम पांच सालों तक मिल भी न सकें।

ऐसे में गोपाल कांडा की डगर कठिन होती प्रतीत रही है। कांडा बंधुओं की तरफ से आयोजित कार्यक्रमों में लोगों की जेबेंं कट जाना व महिलाओं से स्नेचिंग की घटनाएं हो जाना भी कांडा के खिलाफ वातावरण बना रही हैं।

सबसे अहम बात तो यह है कि इस बार किसान वर्ग बीजेपी से पूरे नाराज है। ऐसे में वे बीजेपी के प्रत्याशियों व बीजेपी के समर्थन वाले प्रत्याशियों के खिलाफ है। उनमें रोष है।

सिरसा के विधायक गोपाल कांडा का बीजेपी को दिए गए समर्थन का नुकसान अब किसानों से नाराजगी के रूप में विधानसभा चुनावों में सामने आएगा।

विधायक गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा तो बीजेपी ज्वाइन भी कर चुके है और बीजेपी की टिकट पर ऐलनाबाद उप चुनाव भी लड़ चुके है। ऐसे में स्वाभाविक है कि किसानों का रोष कांडा बंधुओं के प्रति विधानसभा चुनावों में सामने आएगा।

वैसे भी इस बार बीजेपी की हवा खराब है। खराब हवा वाली पार्टी के साथ लगने वाली पार्टियों व नेताओं को हवा का नुकसान होना भी तय है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि इस बार कांडा बंधुओं की डगर कठिन हो गई है।

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