अध्यापकों के करीब 10 हजार पद रिक्त होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई हो रही बाधित
सिरसा, 25 जून। हरियाणा में स्कूली शिक्षा राम भरोसे ही चल रही है। सरकार का सरकारी स्कूलों पर ध्यान कम ही दिख रहा है। सिरसा जिले में 145 सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल है जिनमें से 87 स्कूलों में प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हैं।
स्वाभाविक है कि मुख्यिों के बिना स्कूलों में पढ़ाई बाधित हो रही है। ये लंबे समय से पद रिक्त पड़े हैं पर सरकार ने अब तक प्रिंसिपलों के पदों को भरना जरूरी नहीं समझा है।
बताया जा रहा है कि स्कूलों में प्रिंसिपलों के पदों की भरपाई के लिए सरकार ने करीब डेढ साल पहले केस मांगे थे पर उसके बाद शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में ही पड़ी है।
दरअसल स्कूलों में पढ़ाई व अन्य कामकाजों को बिना बिघन चलाने के लिए प्रिंसिपल का होना जरूरी माना जाता है। ऐसे में बिना प्रिंसिपल के स्कूलों में विद्यार्थियों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है।
बात प्रिंसिपलों तक ही सिमित नहीं है। प्रदेश के 2300 स्कूलों में 9995 पद पीजीटी के रिक्त पड़े है। जिससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।
इसी प्रकार बात अगर डिप्टी डीईओ की करें तो प्रदेश में 66 पद हैं पर फिलहाल 7 डिप्टी डीईओ ही कार्यरत हैं। सिरसा में डिप्टी डीईओ के तीन पद स्वीकृत है जो तीनों ही रिक्त पड़े है।
वहीं एक तरफ सरकार सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़ाने की बात करती है तो दूसरी तरफ स्कूल मुख्यिों व शिक्षकों के पदों पर भर्ती न करके विद्यार्थियों को प्राइवेट स्कूलों में जाने को मजबूर कर रही है।
खाली पदों को देख कर कहा जा सकता है कि सरकार को स्कूली शिक्षा की तरफ कोई विशेष ध्यान नहीं है। ऐसे में जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की बात करना बेमानी साबित हो रही है।
तीन माह बाद भी नहीं हुआ गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का सर्वे
प्रदेश सरकार ने तीन माह पूर्व पत्र जारी कर जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची बनाई जाए और ऐसे स्कूल अगर सामने आएं तो उनको तुरंत बंद किए जाएं।
पर सिरसा जिले में तीन माह बीत जाने के बावजूद विभाग की तरफ से यह सूची तैयार नहीं हो सकी है।
सरकार ने मार्च माह में ही ऐलान किया था कि बच्चों की पढ़ाई से खिलवाड़ न हो इस लिए सरकार के पैरामीटर पूरे न करने वाले गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को एक अप्रैल से नहीं चलने दिया जाएगा।
पर विभाग और सरकार की अनदेखी के कारण दुकानों की तरह गैर मान्यता प्राप्त स्कूल ज्यों की त्यों चल रहे है।