सिरसा जिले में पिछले 20 सालों में भूजल स्तर के गिरने की बढ़ी रफ्तार स्थिति ऐसी ही रही तो निश्चित तौर भविष्य में सभी के समक्ष खड़ा होगा जल संकट
सिरसा, 24 जून। भविष्य में जल संकट पैदा होने की संभावना को लेकर विभिन्न संस्थाएं व सरकार के सिंचाई विभाग की भूजल विंग कई प्रकार के प्रयास कर रहे हैं।
पर भूजल का अंधाधुंध दोहन भूजल स्तर के तेजी से गिरने का कारण बनता जा रहा है। अगर आंकडों पर नजर डालें तो पिछले 20 सालों में सिरसा जिले के कई खंडों में भूजल स्तर के गति काफी तेज दिख रही है।
और अगर गति यही रही तो आने वाले 20-30 सालों में जल संकट हम सब के सामने खड़ा हो जाएगा।
80 और 90 के दशकों में करीब 20 साल तक भूजल स्तर की स्थिति काफी ठीक रही थी।
इन 20 सालों में जिले के कई इलाकों में भूजल स्तर गिरा नहीं और कई इलाकों में भूजल स्तर में सुधार हुआ। पर 2004 के बाद भूजल स्तर के नीचे जाने में तेजी आई।
खंड स्तर पर भूजल स्तर की स्थिति
सिरसा- जिले के सिरसा खंड की बात करें तो 1974 में सिरसा ब्लॉक का भूजल स्तर 24.30 मीटर
था और 1999 में 14.91 मीटर। लेकिन 2004 में 21.14 हो गया और जून 2023 तक 53.33 मीटर तक पहुंच गया।
बड़ागुढा- इस खंड का भूजल स्तर वर्ष 1974 में 2.52 मीटर था, 1999 में 2.81 मीटर और 2023 में 12.36 मीटर तक भूजल स्तर पहुंच गया है।
ओढां- ओढां खंड में 1974 से लेकर 1999 तक भूजल स्तर में सुधार हुआ (1974 में 28.13 व 1999 में 9.77 मीटर) लेकिन 2004 के बाद फिर से भूजल स्तर नीचे जाने लगा, इस खंड में 2004 में 9.86 मीटर भूजल स्तर था जो 2023 तक 14.94 मीटर पर पहुंच गया।
डबवाली- डबवाली ब्लॉक में 1974 में 29.65 मीटर से सुधार होते-होते 2004 तक 9.68 मीटर तक भूजल स्तर आ गया। पर उसके 2023 तक भूजल स्तर गिरने लगा और जन 2023 तक 14.60 मीटर पर पहुंच गया।
रानियां- रानियां खंड में 1974 में 12.47 मीटर भूजल स्तर था और 1999 में 12.20 मीटर था पर 2023 में 33.86 मीटर तक भूजल स्तर नीचे गिर गया। यानि कि इस खंड में पिछले 20 साल का आंकडा देखें तो बहुत ही तेजी से भूजल स्तर नीचे गया है।
ऐलनाबाद- ऐलनाबाद खंड की स्थिति भी रानियां खंड से मिलती जुलती है। यहां पर 1974 में 7.10 मीटर भूजल स्तर रिकॉर्ड किया गया था और 1999 में 7.82 मीटर।
पर इसके बाद स्थिति बदलने लगी और 2004 में 11.69 मीटर तो 2023 में 30.13 मीटर तक भूजल स्तर जा पहुंचा।
नाथूसरी चौपटा- नाथूसरी चौपटा खंड का भूजल स्तर स्थिर बना हुआ है जिसके पिछे क्षेत्र में सेम का आना माना जा रहा है। यहां पर 1974 में 21 मीटर भूजल स्तर था, 1994 में 9.13 मीटर तो 2023 में 10.31 मीटर भूजल स्तर रिकॉर्ड किया गया है।
सिरसा जिले की एवरेज स्थिति – सभी खंडों के भूजल स्तर को जिले की एवरेज स्थिति के अनुसार देखें तो इसमें भी गिरावट ही हो रही है।
भूजल स्तर में गिरावट की एवरेज में से नाथूसरी चौपटा खंड को निकाल दें तो कहा जा सकता है कि जिले में भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। वर्ष 1999 में जिले में 9.45 मीटर भूजल स्तर रिकॉर्ड किया गया तो 2023 में 24.21 मीटर।
तीन खंड पहुंचे गंभीर स्थिति में
भूजल स्तर को लेकर सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड की बात करें तो सिरसा, ऐलनाबाद व रानियां खंड गंभीर स्थिति में पहुंच गए है।
ग्राउंड वाटर सेल के अनुसार 30 मीटर से ज्यादा जिस खंड का पानी नीचे चला जाता है वह खंड गंभीर स्थिति में माना जाता है। अगर हम इस स्थिति वाले खंडों की बात करें तो सिरसा 53.33 मीटर, ऐलनाबाद 30.13 मीटर व रानियां 33.86 मीटर पर भूजल स्तर पहुंच गया है।
नियम अनुसार इस स्थिति पर क्षेत्र में न तो टयूबवेल लगाने की अनुमति होती है और न ही पहले से लगे टयूबवेल पर बिजली का कनेक्शन दिया जा सकता। पर संबंधित विभागों पर सरकार की गाइड लाइन का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा।