पहली बार चुनावों में जोर सोर से उठ रही संविधान को बचाने की बात

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संविधान खतरे में है: किस ने खड़ा किया नेरेटिव ?

खबरें हिंदुस्तान, 22 मई। ऐसा पहली बार हो रहा है कि चुनावों में संविधान को बीच में लाया जा रहा है।

कांग्रेस व कांग्रेस के सहयोगी दल हर जनसभा और रैली में संविधान को खतरे में बता कर संविधान को बचाने की बात कर रहे हैं, तो वहीं पर बीजेपी या बीजेपी के सहयोगी दल कहीं न कहीं इस बात का स्पष्टीकरण भी देते सुने जा रहे कि संविधान को कोई खतरा नहीं।

अब सवाल यह है कि यह बात आई कैसे कि संविधान खतरे में है। चुनावी प्रचार में संविधान को क्यों ढाल बनाया जा रहा है। बीते दिनों सिरसा में आयोजित एक कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़ा ने कहा था

कि सरकार के कुछ फैसले कोर्ट की प्रक्रिया से ऊपर उठ कर हुए, कोर्ट के कई आदेशों की पूरी तरह से पालना न होना, विपक्षी नेताओं पर अलोकतांत्रिक तरीके से हुई कार्रवाइयां इस बात का संकेत है

कि संविधान से ऊपर उठकर सरकार काम करना चाहती है। उन्होंने तो यह भी कहा था कि बीजेपी चार सौ पार का नारा इस लिए दे रही है कि प्रचंड बहुमत मिलने पर संविधान में संशोधन किया जा सके और उस दौरान विरोध करने वाले न के बराबर हों।
इसके उल्ट बीजेपी के नेता इस बात को लोगों को समझा रहे है कि संविधान को कोई खतरा नहीं है। हम संविधान का सम्मान करते है और जो प्रक्रिया अब तक की गई हैं वे सब संविधान के अनुसार ही की गई है।

वहीं पर बीजेपी की तरफ से यह कह कर भी हमला बोला जा रहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बन गई तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जाएग, जिससे आरक्षण का लाभ ले रहे वर्गों को नुकसान होगा।

कांग्रेस अल्पसंख्यक के नाम किसी विशेष धर्म को लाभ देना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो आरक्षित वर्ग के संवेधानिक अधिकारों का हनन होगा।
खैर जो भी है पर इस बार लोकसभा चुनावों में संविधान को बचाने व संविधान को कोई खतरा नहीं यह बात हर सभा में सुनी जा रही है।

दोनों ही मुख्य पार्टियां इस बार अपने प्रचार में संविधान को बीच में जरूर ला रही है। इसके पिछे क्या कारण है इनको खुलासा अभी किया जाना संभव नहीं है। पर इस बात को लेकर लोगों में चर्चाएं भी है।

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