नीलोखेडी, 7 मई । हरियाणा में लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा को बडा झटका लगा है। हरियाणा में जेजेपी से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी की सरकार बनाने वाले 3 निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दे कर सियासत का माहौल गर्म कर दिया है।
जिसमें नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर भी शामिल है। धर्मपाल गोंदर द्वारा रोहतक में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की मौजूदगी में कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करने करने के बाद सियासत गर्म हो गई।
उल्लेखनीय है कि धर्मपाल गोंदर पहले बीजेपी में ही थे और उन्होंने 2009 में विधानसभा नीलोखेड़ी से चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे समय धर्मपाल गोंदर चुनाव हार गए। उसके बाद 2014 में उनको बीजेपी ने टिकट नहीं दी।
जिसके बाद उन्होंने बीजेपी से अपना हाथ खींच लिया और फिर 2019 में धर्मपाल गोंदर के समर्थकों ने उनको आजाद प्रत्याशी के रूप में खड़ा होने की सलाह दी ।
उसके बाद धर्मपाल गोंदर ने महज 15 दिन के अंदर चुनाव को एक नया मोड़ दिया और विधानसभा नीलोखेड़ी से चुनाव जीते और भाजपा की सरकार बनी तो धर्मपाल गोंदर ने बीजेपी को अपना समर्थन दे दिया।
धर्मपाल गोंदर के समर्थकों ने बताया कि बीजेपी ने धर्मपाल गोंदर को मान सम्मान नहीं दिया। नीलोखेड़ी विधानसभा में विकास कार्यों की फाइलें भी लम्बे समय तक रोकी गई।
जिससे विकास कार्यों की रफ्तार धीमी पड़ी। अभी हाल ही में जब नायब सिंह सैनी की सरकार बनी तो भी धर्मपाल गोंदर ने भाजपा सरकार को अपना समर्थन तो दिया। मगर भाजपा सरकार ने उन्हें कोई तवजो नही दी।
तब से विधायक धर्मपाल भाजपा से नाराज चल रहे थे। यहां तक भाजपा ने लोकसभा चुनावो में भी विधायक से दूरी बनाएं रखी। मगर आज उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दे दिया।
विधायक धर्मपाल के इस फैसले से भाजपा के चुनाव अभियान पर इसका न केवल विपरीत प्रभाव पड़ेगा बल्कि नीलोखेड़ी विधानसभा में भाजपा कमजोर भी पड़ेगी। क्योंकि धर्मपाल गोंदर पहले ही भाजपा प्रत्याशी भगवानदास को हरा कर विधानसभा मे पहुंचे है।
फिलहाल विधायक धर्मपाल की इस नई सियासत को उनके भविष्य से जोडक़र देखा जा रहा है। विधायक धर्मपाल की इस नई पारी से उन कांग्रेस नेताओं का रंग भी उड़ गया है जो कांग्रेस की टिकट पर नीलोखेड़ी में चुनाव लडने का सपना देख रहे थे।