जनता की संपत्ति पर कांग्रेस अपना पंजा मारना चाहती है: निताशा सिहाग

कांग्रेस | Khabrain Hindustan | Nitasha Sihag
  • भाजपा जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस को उन्हीं के घोषणापत्र पर घेरा
  • कहा; कांग्रेस तुष्टिकरण के आधार पर आगे बढऩा चाहती है
  • बोले कि कांग्रेस की नीति ही उनके घोषणापत्र का हिडेन एजेंडा है
  • पत्रकार वार्ता में निताशा सिहाग ने मोदी के विकास के एजेंडे को सामने रखा

सिरसा, 24 अप्रैल। भारतीय जनता पार्टी की जिलाध्यक्ष निताशा राकेश सिहाग ने कहा कि 60 के दशक से कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति को चुनाव जीतने का हथियार बनाया। हम वर्षों से इसके खिलाफ लड़ रहे थे।

2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास का एजेंडा देश में सेट किया जिसके बाद कांग्रेस लगातार पराजित हो रही है। अब कांग्रेस फिर से एक बार तुष्टिकरण के आधार पर आगे बढऩा चाहती है। वे बुधवार को एक निजी पैलेस में पत्रकारों से बातचीत कर रही थी। यहां उन्होंने कांग्रेस को उनके घोषणा पत्र पर घेरते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन की नजर अब जनता की कमाई पर है।

किसके पास कितनी प्रॉपर्टी है, किसके पास कितना धन है, किसके पास कितने मकान हैं, कांग्रेस सरकार उसकी जांच कराएगी। यह जो संपत्ति है उनको सरकार अपने कब्जे में लेकर सभी को बांट देगी। निताशा सिहाग ने कहा कि हमारी माता-बहनों के पास सोना होता है। वह पवित्र माना जाता है। कानून भी उसकी सुरक्षा करता है। अब कांग्रेस की नजर इस पर भी है।

उन्होंने कहा कि इन परिवारवादी लोगों ने देश को लूटकर अपना इतना साम्राज्य बना लिया है कि देश को कुछ नहीं दिया है। जनता के धन को लूटना, देश को लूटना ही कांग्रेस अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझती है। कहा कि नौकरी-पेशा वाले लोगों ने अपने बच्चों के भविष्य के लिए जो एफडी करवाई है।

कांग्रेस वाले उसकी भी जांच कराने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस इसका सर्वे कराएगी। फिर कांग्रेस ऐसे ही सरकार के नाम पर कब्जा करेगी। बोला कि कांग्रेस यहां तक जाएगी कि आपके गांव में पैतृक घर है, तो यह लोग उसे दो घर बताकर छीन लेंगे। कांग्रेस के लोग कहेंगे कि आपके पास गांव में तो एक घर पहले से ही है। यही कांग्रेस की नीति ही उनके घोषणापत्र का हिडेन एजेंडा है।


कांग्रेस का घोषणापत्र 2024 स्पष्ट है। इसमें विशेष रूप से कहा गया है कि कांग्रेस जातियों और उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना आयोजित करेगी। आंकड़ों के आधार पर सकारात्मक कार्रवाई के एजेंडे को मजबूत किया जाएगा। जिलाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कहा है कि देश में बहुसंख्यकवाद की कोई जगह नहीं है।

आरक्षण सीमा खत्म करना चाहती है कांग्रेस
निताशा सिहाग ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि एससी, एसटी और ओबीसी रिजर्वेशन की 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म किया जाएगा और इसे बढाया जाएगा।

मतलब ये बढा हुआ आरक्षण किसको देंगे क्योंकि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र के लगभग हर सेक्शन में अल्पसंख्यकों की बात कही है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लिखा है कि कांग्रेस नीतियों में उपयुक्त बदलाव करके धन और आय के मामले में बढ़ती असमानता का समाधान करेगी।


जिलाध्यक्ष ने जोड़ा कि 5 अप्रैल को घोषणापत्र जारी करते समय राहुल गांधी ने कहा था कि हिंदुस्तान में 50 प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है, 15 प्रतिशत आबादी दलितों की है, 8 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है, 15 प्रतिशत आबादी माइनॉरिटी की है और 5 प्रतिशत आबादी गरीब जनरल कास्ट की है।

अगर आप इन सबको मिला दें तो 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी इन लोगों की बनती है मगर आप, अगर हिंदुस्तान की संस्थाओं को देखो, इंस्टीट्यूशन्स को देखो, बड़ी-बड़ी कंपनियों को देखो, तो इनमें से आपको कोई भी उन कंपनियों में, उन इंस्टीट्यूशन में, उन संस्थाओं में नहीं दिखाई देता।

इसलिए हमने वादा किया है कि जैसे ही हमारी सरकार आएगी, जाति जनगणना को हम पूरे देश में इम्प्लिमेंट कर देंगे। देश का एक्सरे कर देंगे, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। इसके बाद हम फाइनेंशियल और इंस्टीट्यूशनल सर्वे करेंगे।

पटकथा पहले ही लिख दी थी
भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस का ये एजेंडा भले ही 5 अप्रैल को सामने आया लेकिन इससे पहले ही कांग्रेस इसकी पटकथा लिख चुकी थी। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम (16 मार्च 2024) में कहा कि किसके पास कितनी संपत्ति है, इसके लिए एक व्यापक आर्थिक, वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण किया जाएगा।

इसके बाद फिर राहुल गांधी ने (6 अप्रैल 2014) तेलंगाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के जितनी आबादी उतना हक नारे का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो यह पता लगाने के लिए एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएगी कि देश की अधिकतर संपत्ति पर किसका नियंत्रण है।

राहुल गांधी ने कहा कि इसके लिए राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना के अलावा वेल्थ सर्वे (संपत्ति के बंटवारे का सर्वेक्षण) कराया जाएगा, यह हमारा वादा है। यह दिन के उजाले की तरह स्पष्ट है कि कांग्रेस हमारी संपत्ति, गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों, एससी, एसटी की संपत्ति, महिलाओं की बचत को छीनना चाहती है और इसे विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के बीच पुनर्वितरित करना चाहती है, जैसा कि कांग्रेस यूपीए चाहती थी।

कांग्रेस ने पहले भी ऐसा किया है
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने 1960 और 1970 के दशक में कानून पास करके भारतीयों को इस बात के लिए विवश किया था कि वह अपनी कमाई का एक हिस्सा सरकार के पास जमा कर दें। जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकारों ने लोगों की कमाई जब्त करने वाले ऐसे ही कानून 1963 और 1974 में पास किए थे।

इनका नाम कम्पलसरी डिपाजिट स्कीम एक्ट था। इसके अंतर्गत सभी करदाताओ, सम्पत्ति धारकों और सरकारी कर्मचारियों को अपनी कमाई का 18त्न सरकार के पास जमा करना होता था। जमा की धनराशि 3-5 वर्ष तक के लिए सरकारी खजाने में रहती थी। हैरानी की बात यह है कि जब 1974 में यह कानून लाया गया था, तब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य आर्थिक सलाहकार हुआ करते थे।

इन बिंदुओं पर निताशा ने कांग्रेस को घेरा
भाजपा जिलाध्यक्ष निताशा ने कहा कि कांग्रेस हमेशा चाहती रही है कि शिड्यूल्ड कास्ट की लिस्ट में मुसलमानों को भी घुसाया जाए। मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में अलग से 15 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। ओबीसी आरक्षण को धर्म के आधार पर बांट कर मुसलमानों को 6 प्रतिशत अलग दिया जाए। धर्म परिवर्तन करने पर भी एससी का दर्जा सुरक्षित रहे।

ये सब भी किया है कांग्रेस ने
निताशा ने कहा कि मुसलमानों को संसाधनों पर पहला हक का बयान देना सिर्फ बयान (दिसंबर, 2006, दिल्ली) नहीं था। इसकी प्रक्रिया बहुत पहले से चल रही थी। रिटायर्ड चीफ जस्टिस और कांग्रेसी नेता सांसद रंगनाथ मिश्रा इसी दौरान अपनी रिपोर्ट में लिख रहे थे कि मुसलमानों में भी जाति है, इसलिए उनमें भी एससी माना जाए और एससी लिस्ट में उनको भी आरक्षण दिया जाए।

ये भी सिफारिश की गई कि कोई एससी अगर धर्म बदल कर मुसलमान या ईसाई बनता है तो भी उसका एससी दर्जा बना रहे। रंगनाथ कमीशन ने मुसलमानों को नौकरियों में 15 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की थी। ओबीसी के 27 प्रतिशत से 6 प्रतिशत काटकर मुसलमानों को देने की सिफारिश भी कांग्रेस द्वारा गठित इस आयोग में है।


मनमोहन सिंह के बयान से ठीक एक महीना पहले सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आई थी, जिसने ये गलतबयानी की थी कि मुसलमानों की हालत दलितों से भी खराब है।

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