चंडीगढ। इस बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी को उन राज्यों की कई सीटों पर टक्कर मिल सकती है जहां से वर्ष 2019 के लोक सभा चुनावों में सभी सीटें जीती थी या एक-आध सीट गंवाई थी। उन प्रदेशों की कुछ सीटों पर भी इस बार कांग्रेस सेंधमारी करने के लिए कड़ी मेहनत करती दिख रही है।
ऐसी सीटों पर मौजूदा सांसदों की लोकप्रियता में कमी आना भी बीजेपी को भारी पड़ सकता है। हालांकि सर्वे के बाद बीजेपी ने ऐसे सांसदों की टिकटें काटी भी है। पर उन सांसदों द्वारा जनता से नाराजगी का खामियाजा नए प्रत्याशियों को भी भुगतना पड़ सकता है।
वहीं कांग्रेस भी ऐसी सीटों पर ताकत के साथ चुनाव लडऩे की रणनीति से काम रहती दिख रही है। सेंधमारी न हो सके इस लिए जनता की नब्ज टटोलने के बाद बीजेपी ने किसी न किसी बहाने से गांव-गांव का सफर मार्च माह में ही शुरू कर दिया था।
2019 में बीजेपी को एकतरफा जीत दिलाने वाले राज्य
उत्तर-पश्चिमि राज्यों में वर्ष 2019 में राजस्थान में बीजेपी को 25 में से 25 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। इसी प्रकार दिल्ली से सभी सात सीटों पर, हिमाचल प्रदेश में सभी चार सीटों पर, हरियाणा में सभी 10 सीटों पर, उतराखंड में सभी 5 सीटों पर, चंडीगढ में एकमात्र एक सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी जीते थे।
इसी प्रकार गुजरात में सभी 26 सीटों पर बीजेपी को जीत प्राप्त हुई थी। मध्य प्रदेश में 29 में 28 सीटों पर बीजेपी के सांसद बने थे, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र से भी बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था। पंजाब में दो सीटों पर बीजेपी की जीत हुई थी जबकि दो सीटों पर बीजेपी के सहयोगी दल अकाली दल की जीत हुई थी।
उक्त सभी राज्यों में बीजेपी के कई सांसदों द्वारा जनता से बनाई गई दूरी के चलते परिणाम वैसे ही रहेंगे यह कहना काफी कठिन है। हालांकि इस बार बीजेपी राम मंदिर के उद्घाटन समारोह को चुनावों में पूरी तरह से भुनाने में ताकत लगाई पर कई राज्यों के चुनाव परिणाम में आने वाला अंतर बीजेपी के गणित को बिगाड़ सकता है।
इस की भरपाई के लिए बीजेपी इस बार उन राज्यों में ज्यादा फोक्स करने का प्रयास कर रही है जहां से 2019 के चुनावों में बीजेपी को ज्यादा सीटें नहीं मिली थी। ताकि अगर उक्त राज्यों में बीजेपी की सीटें कम होती है तो ऐसे राज्यों से उसकी भरपाई की जा सके जहां से गत चुनावों में बीजेपी को कम सीटें मिली थी।