सिरसा। बेशक जिला प्रशासन ने सिरसा शहर को कागजों में कैटल फ्री घोषित कर रखा है, परंतु हकीकत इसके उल्ट है। सडक़ों पर व गली मोहल्लों में हजारों बेसहारा गौवंश मंडराते कभी भी देखे जा सकते है। बेसहारा पशुओं की बढ़ती तादाद प्रशासन के कैटल फ्री दावों की पोल खोल रही है।
आलम ये हो चुका है कि शहर की हर गली और मोहल्ले से लेकर मुख्य बाजारों, मुख्य सडकों पर भी बेसहारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। आए दिन कहीं न कहीं ऐसे पशुओं से चोटिल होने व इनके कारण हादसे होने की सूचनाएं आती रहती हैं।
यही नहीं शहरवासी वर्षों से इन पशुओं से छुटकारा दिलाने के लिए गुहार प्रशासन व सरकार से भी लगाते रहते हैं, लेकिन इस ओर ध्यान ही दे रहे। बेसहारा पशु शहरवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन चुके हैं। शहरवासियों ने जिला प्रशासन व नगर परिषद के अधिकारियों से इन आवारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की है।
कागजों में चलता है अभियान
शहर में पिछले कुछ समय से प्रशासन की तरफ शहर में घूमने वाले बेसहारा पशुओं को पकडऩे के लिए कोई अभियान नहीं चलाया गया है और न ही कोई योजना बनाई है। जिस कारण इन पशुओं की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। खानापूर्ति के लिए कागजों में ही अभियान चलाकर अधिकारी अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं ।
शहर की मुख्य सडकों, मुख्य बाजारों, गली, मोहल्लों में इनका जमावड़ा लगा रहता है। कई बार ये मुख्य बाजारों व सडकों पर हिंसक रूप धारण कर उत्पात मचाते हैं। हिंसक झड़प में ये बेसहारा पशु दुकानों के बाहर रखे सामान व वाहन को चपेट में लेकर क्षतिग्रस्त कर देते हैं। कई बार तो ये आमजन को भी अपनी चपेट में लेकर घायल कर देते हैं। सैकड़ों लोग इन आवारा पशुओं की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
सालासर धाम के पास लगा जमावड़ा
मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम चल रहे हैं, ऐसे में पूरा दिन श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। शहर के लाल बत्ती चौक के निकट सालासर धाम के पास इन आवारा पशुओं का जमावड़ा सरेआम देखा जा सकता है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को यही डर सताता रहता है कि कहीं कोई आवारा पशु उन्हें अपनी चपेट में न ले ले। इसी भय के साए में ही लोग दर्शन करने को मजबूर हैं।