सिरसा। भारतीय किसान एकता बीकेई के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख के अध्यक्षता में सिरसा के बाजारों में रोष मार्च निकालते हुए भाजपा के पुतले फूंके गए। औलख ने बताया कि 13 फरवरी से किसान आंदोलन-2 चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वायदों के अनुसार किसान अपनी मानी हुई मांगों को लागू करवाने के लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं।
किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जा रहे थे, लेकिन भाजपा सरकार ने सडक़ों पर कंक्रीट की बड़ी-बड़ी दीवारें बनवाई, पूरे हरियाणा की सडक़ें बंद कर दी। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने पंजाब के शंभू व खनौरी बॉर्डर पर किसानों पर जहरीली आंसू गैस के गोले, मोर्टार इंजेक्टर, प्लास्टिक की गोलियां सहित सीधी गोलियां चलाई, जिससे युवा किसान शुभकरण सिंह गोली लगने से शहीद हुआ व सैकड़ों किसान घायल हुए।
किसानों के कैंप में घुसकर उनके ट्रैक्टर व गाडिय़ों को तोड़ा गया। भाजपा सरकार ने यहीं पर ना रुकते हुए कई किसान साथियों को गिरफ्तार करके जेलों में डाला, जिसमें से अभी तक तीन किसान अनीश खटकड़, नवदीप सिंह व गुरकीरत सिंह जेलों में बंद है। उनकी रिहाई को लेकर व किसानों पर हुए अत्याचार के विरोध में आज पूरे देश में रोष मार्च निकालते हुए भाजपा के पुतले फूंके गए हैं।
बीकेई ने भी सिरसा में नेहरू पार्क से चलते हुए जगदेव सिंह चौक, सुभाष चौक, शहीद भगत सिंह चौक, परशुराम चौक होते हुए सुरखाब चौक में जाकर भाजपा का पुतला फूंका। औलख ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की किसानों को उपद्रवी कहने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने उपद्रव करते हुए किसानों पर सीधी गोलियां चलाई, शुभकरण सिंह को शहीद किया, 400 से ज्यादा किसानों को जख्मी किया।
किसानों को राजधानी दिल्ली जाने से रोका गया। हरियाणा की सडक़ें खोद डाली, कीलें गाडऩे के साथ-साथ बड़ी-बड़ी दीवारें बना दी। पूरे हरियाणा की व्यवस्था बिगाड़ दी। अब भाजपा बताए कि उपद्रव भाजपा ने किया या किसानों ने। अगर आंदोलनकारी किसान उपद्रवी हैं तो दिल्ली से चलकर भाजपा के मंत्री चंडीगढ़ में पूरी-पूरी रात किसानों के साथ मीटिंग कैसे करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी किसानों को कहे गए अपशब्दों पर माफी मांगें नहीं तो किसान किसानों को मजबूरन उनका विरोध करना पड़ेगा।
इस मौके पर बीकेई से अंग्रेज सिंह कोटली, हंसराज पचार मतूवाला, मोरीवाला, रघुआना, साहुवाला, थिराज, खारिया, काशी का बास, कोटली, वैदवाला, फूलकां, दारेवाला, पंजुआना जोधपुरिया, कुमथला, उमेदपुरा, कासनखेड़ा, फगू, रोड़ी, रोहण, भीवां, मलड़ी, जलालआना, चकेरियां, घुक्कांवाली, भंगू, जसानिया, गुडिय़ा खेड़ा, बकरियांवाली, बच्चेर, नथोर, भंबूर व मौजगढ़ सहित अनेक गांवों के किसानों ने हिस्सा लिया।