सिरसा, 19 अप्रैल। हरियाणा में शुक्रवार दोपहर बाद कई जिलों में मौसम ने करवट ली है। तेज हवाओं के बाद बरसात हुई और कई जिलों में ओले भी गिरे है। बता दें कि मार्च माह से लेकर अप्रैल में इस बार दो महीने में चार बार बारिश के साथ ओलावृष्टि हो चुकी हैं। उधर मौसम के जानकारों ने हरियाणा में 21 अप्रैल तक मौसम में बदलाव होने की संभावना जताई है। जिसके चलते मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी कर दिया है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 19 अप्रैल से हरियाणा के अधिकतर जिलों में मौसम खराब रहने वाला है। हरियाणा की राजधानी चंडीगढ सहित उत्तर हरियाणा के पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, यमुनानगर में मौसम खराब रहने के आसार जताए जा रहे हैं।
इसी प्रकार दक्षिण और दक्षिण पूर्व के रोहतक, सोनीपत, पानीपत इसके अलावा पश्चिम और दक्षिण पश्चिम के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, चरखी दादरी और भिवानी को अलर्ट मोड पर रखा गया है। यहां गरज-चमक के साथ बादल छाएंगे। साथ ही 30 से 40 किलोमीटर स्पीड से हवाएं भी चलेंगी।
हरियाणा में शुक्रवार दोपहर बाद मौसम में हुए बदलाव के बाद कैथल जिले के पुंडरी में बारिश के साथ ओले गिरे हैं। इसके अलावा सोनीपत के गोहाना, पानीपत के समालखा और अंबाला के मुलााना में भी बरसात के साथ ओलावृष्टि हुई है। हरियाणा में मौसम में बदलाव को लेकर जारी अलर्ट के बीच में दिन का पारा 40 डिग्री के पार हो गया है।
मेवात का अधिकतम तापमान 40.6 डिग्री पहुंच गया। हिसार 40.3 सिरसा 40.2 और चरणी दादरी का 40.0 डिग्री अधिकतम तापमान रिकार्ड किया गया। वहीं अधिकांश जिले ऐसे हैं, जहां का पारा 38 से 39 डिग्री तक पहुंच गया है। हरियाणा में दो दिन मौसम खराब रहने के कारण 8 जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हुई।
सिरसा में बूंदाबांदी, सोनीपत में मध्यम बारिश, पानीपत में 5 एमएम, अंबाला में भी हल्की बारिश हुई। इसके अलावा जींद में बूंदाबांदी, रेवाडी में औसत 4 एमएम, गुरुग्राम में भी बारिश हुई। महेंद्रगढ में 9 एमएम के करीब बारिश रिकॉर्ड की गई। हालांकि बादलों के छाने के कारण रात के तापमान में हल्की बढोतरी देखने को मिली।
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि 18 से 21 अप्रैल तक तीन दिन मौसम खराब रहने की संभावनाएं है। जिस को देखते हुए किसानों को अलर्ट जारी किया गया है। इसकी वजह यह है कि क्योंकि खेतों में इस समय गेहूं की फसल सूखी खड़ी हुई है। हरियाणा में 20 अप्रैल के बाद गेहूं की कटाई में तेजी आएगी। विशेषज्ञों के अनुसार जहां तक संभव हो वहां तक सूखी हुई फसलों की कटाई कर सुरक्षित कर लें।