पार्टी ने इस बार 50 लाख नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक केवल 39 लाख ही सदस्य बन पाए हैं, जबकि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी को 55 लाख से ज्यादा वोट मिले थे।
यह आंकड़ा भाजपा के लिए चिंता का कारण बन रहा है, क्योंकि सदस्यता अभियान के जरिए पार्टी न केवल अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है,
बल्कि आगामी चुनावों में मजबूत स्थिति हासिल करना भी इसका उद्देश्य है। अगर पार्टी की सदस्यता संख्या 50 लाख के करीब नहीं पहुंच पाती, तो यह उनके रणनीतिक दृष्टिकोण पर सवाल उठा सकता है।
इस संदर्भ में यह भी महत्वपूर्ण है कि चुनावी प्रक्रिया में वोटर की सदस्यता से जुड़े आंकड़े और वास्तविक वोटर की संख्या में फर्क हो सकता है, फिर भी भाजपा की उम्मीद थी कि सदस्यता अभियान के माध्यम से उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिलेगा।
पार्टी अब अगले कुछ महीनों में शेष लक्ष्य को हासिल करने के लिए नए उपायों पर विचार कर सकती है, जैसे कि प्रचार-प्रसार और नए सदस्य बनाने की दिशा में अतिरिक्त प्रयास।