चंडीगढ़, 24 जून। हरियाणा में सरकारी नौकरियों के भर्ती परीक्षा में सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछडे उम्मीदवारों को 5 बोनस अंक दिए जाने के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए उच्चतम न्यायलय ने रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि यह संवैधानिक नहीं है।
दरअसल हरियाणा की बीजेपी सरकार ने सरकारी नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछडे आवेदकों को 5 बोनस अंक देने का फैसला किया था जो 5 मई, 2022 से लागू किया ।
इस फैसले के अनुसार जिस परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो और परिवार की आमदनी सालाना 1.80 लाख रुपए से कम हो, ऐसे परिवार के आवेदक को 5 अतिरिक्त अंक का लाभ दिया गया।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ अन्य अभ्यर्थियों ने कोर्ट याचिका दायर की। इस मामले में गत 31 मई को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच ने बोनस अंक देने के फैसले को खारिज किया था।
हाई कोर्ट ने कहा था कि यह एक प्रकार से आरक्षण देने जैसा है। जब आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत राज्य सरकार ने पहले ही आरक्षण का लाभ दिया है तो इसकी क्या जरूरत है।
इस मामले में हरियाणा सरकार फंसती हुई नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद सरकार पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है।
अगर फिर भी राहत न मिली तो भर्तियां रद्द कर नए सिरे से एग्जाम लेना होगा। ऐसे में यह भी संभव है कि जिन युवाओं को बोनस अंक का फायदा मिला, वह कोर्ट चले जाएंगे।