लालों के वंशज नहीं बचा पाए अपने गढ़, विरोधी पार्टियां सेंधमारी में रही सफल
सिरसा, 6 जून। दो दिन पूर्व आए लोकसभा चुनावों के परिणामों में कई रोचक पहलु निकल कर सामने आए है। इसमें हरियाणा में भी कुछ ऐसा ही देखने में आया है।
भले ही चुनाव लोकसभा हों या फिर विधानसभा सभी में हरियाणा के तीन लालों का असर अब तक दिखता रहा था। तीनों ही लालों के वंशज अपने-अपने क्षेत्र में अपने गढ़ को बरकरार रखने में सफल भी रहे।
पर इस बार लोकसभा चुनावों के परिणामों की बात करें तो हरियाणा के तीनों लालों चौ. देवीलाल, चौ. बंसीलाल व चौ. भजन लाल के गढ़ विरोधी पार्टियों ने भेद दिए।
चूंकि चौ. देवीलाल सिरसा से थे तो सिरसा में डबवाली, ऐलनाबाद व कालांवाली हलका में चौ. देवीलाल के वंशज अब भी अपने गढ़ के रूप में मान रहे है।
इनमें सबसे मजबूत ऐलनाबाद को माना जाता है। क्योंकि ऐलनाबाद विधानसभा से इस वक्त चौ. देवीलाल के पौत्र अभय सिंह विधायक भी हैं।
पर लोकसभा चुनावों में उक्त तीनों ही हलकों में कांग्रेस की सेंधमारी सफल रही। यहां बीजेपी दूसरे व चौ. देवीलाल की पार्टी तीसरे नंबर पर रही है।
आदमपुर हलका चौ. भजन लाल का अभेद किला माना जाता रहा है। चौ. भजन लाल के पौत्र यहां से विधायक भी है। चौ. भजन लाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई बीजेपी में है और वे इस बार अपने हलके से बीजेपी को जीता नहीं पाए।
इसके उल्ट उनके धुरविरोधी माने जाने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी जयप्रकाश यहां से करीब 10 हजार वोटों से लीड ले कर निकले है।
बात एक और लाल बंशीलाल के किले की करें तो भिवानी में तौसाम इनका गढ़ माना जाता है।
चौ. बंशीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल रही है और वे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता है।
पर लोकसभा चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशी धर्मबीर सिंह चौ. बंसीलाल के गढ़ में सेंधमारी करने में सफल रहे है।
कुलमिला कर कहा जा सकता है कि है हरियाणा के तीनों लालों के वंशज अपने-अपने राजनीतिक गढ को बचा नहीं पाए।
इसके उल्ट विरोधी पार्टियां तीनों लालों के किलों को भेदने में सफल रही है। अब देखने यह है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में भी तीनों लालों के गढ़ बचते हैं या फिर विरोधी इन किलों को धराशाही करते है।