तेजाखेड़ा फार्म हाउस में 12 क्विंटल फूलों से समाधि स्थल सजाया गया, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित कई दिग्गज नेता पहुंचे
सिरसा, 21 दिसंबर। हरियाणा के 5 बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को आज डबवाली के गांव तेजाखेड़ा स्थित फार्म में अंतिम विदाई दी गई। हजारों लोगों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
इसके लिए फार्म हाउस में समाधि स्थल तैयार किया गया था। समाधि स्थल के लिए कोलकाता से 12 क्विंटल फूल मंगाए गए थे। इनमें 8 क्विंटल गेंदा और 2-2 क्विंटल गुलाब-गुलदाउदी के थे।
अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सीएम नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल,
पंजाब के पूर्व सीएम सुखबीर बादल, सिरसा सांसद कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित बड़ी संख्या में दिग्गज नेता व उनके चाहने वाले पहुंचे थे।
चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का 89 वर्ष की उम्र में गत दिवस गुरुग्राम में निधन हो गया था। देर रात उनका पार्थिव शरीर सिरसा के तेजाखेड़ा फार्म में पहुंचा। आज सुबह पार्थिव शरीर को दर्शनों के लिए फार्म में रखा।
पुलिस टीम ने उनके पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटा। उन्हें हरी पगड़ी और चश्मा पहनाया गया। अंतिम विदाई के मौके पर राजनीतिक
तौर पर अलग उनके दोनों बेटे अजय चौटाला व अभय चौटाला और ओपी चौटाला के भाई रणजीत चौटाला सहित पूरा परिवार एकसाथ दिखाई दिया।
दोपहर बाद राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किया। पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। अंतिम संस्कार में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि पांच दिन पहले ही चौधरी ओमप्रकाश चौटाला से उनकी बात हुई थी।
वे नेकदिन इंसान थे। उन्होंने कहा कि ताऊ देवीलाल ही उन्हें राजनीति में लेकर आए थे। उन्हें मंत्री बनाया। उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला ने सीएम रहते हुए हर वर्ग के लिए काम किया जिसकी बदौलत हरियाणा के लोग उन्हें आज भी याद कर रहे हैं।
हरियाणा सरकार ने उनके निधन पर 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। पिता के निधन पर उनके छोटे बेटे अभय चौटाला ने सोशल मीडिया पर लिखा- पिताजी का निधन सिर्फ हमारे परिवार की नहीं,
बल्कि हर उस व्यक्ति की व्यक्तिगत क्षति है, जिनके लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उनका संघर्ष, उनके आदर्श और उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने दादा ओपी चौटाला को लौहपुरुष बताया।
ओपी चौटाला के मुख्यमंत्री कार्यकाल में वे टीचर भर्ती घोटाले में फंसे थे। जिसमें उन्हें बड़े बेटे अजय चौटाला के साथ 10 साल की कैद भी हुई थी। हालांकि 2 साल पहले ही उन्हें केंद्र की सजा माफी स्कीम के तहत रिहा कर दिया गया था।
चौटाला ने तिहाड़ जेल में रहते 2017 से 2021 के बीच 10वीं से लेकर 12वीं तक की परीक्षा पास की थी। इसको लेकर उन पर दसवीं फिल्म भी बनी। जिसमें चौटाला का किरदार अभिषेक बच्चन ने निभाया।
इससे पहले चौटाला के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के अलावा दिग्गज नेताओं ने उनके हरियाणा की राजनीति में दिए योगदान को याद किया।
अंतिम दर्शन में ओपी चौटाला के दोनों बेटे-भाई एक साथ दिखे
ओपी चौटाला के अंतिम दर्शन के वक्त राजनीतिक तौर पर अलग-अलग चौटाला परिवार एक साथ दिखा। चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला, छोटे बेटे अभय चौटाला और उनके भाई रणजीत चौटाला एक साथ बैठे हुए थे।
अभय इस वक्त इनेलो को संभाल रहे हैं। वहीं अजय अपनी अलग पार्टी जजपा बना चुके हैं। रणजीत चौटाला इसी साल लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा में शामिल हुए थे
लेकिन विधानसभा चुनाव के वक्त टिकट न मिलने पर फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं।
ओपी चौटाला 5 दिन से 5 साल तक कार्यकाल वाले सीएम बने
2 दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने। राज्यसभा सांसद होने की वजह से उन्हें 6 महीने में विधायक बनना जरूरी था। वे महम सीट से उपचुनाव लड़े। मगर वहां हिंसा-बूथ कैप्चरिंग की वजह से विवाद हुआ।
इसे महम कांड के नाम से जाना जाता है। उन्हें साढ़े 5 महीने बाद ही इस्तीफा देना पड़ा। कुछ समय बाद वे दड़बा से चुनाव जीत विधायक बन गए। तब 51 दिन बाद ही बनारसी दास को हटा चौटाला दोबारा सीएम बन गए।
मगर तब के प्रधानमंत्री वीपी सिंह इससे नाराज हो गए। मजबूरन चौटाला ने 5 दिन में सीएम कुर्सी छोड़ दी। मास्टर हुकुम सिंह फोगाट को नया सीएम बनाया गया।
इसी साल 1990 में भाजपा के राम मंदिर आंदोलन के चलते समर्थन वापसी से प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार गिर गई।
चंद्रशेखर नए पीएम बने। देवीलाल को फिर उपप्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने चौटाला को तीसरी बार मुख्यमंत्री बना दिया। मगर, इससे विधायक नाराज हो गए और सरकार गिर गई। चौटाला को 15 दिन में सीएम कुर्सी छोडऩी पड़ी।
1996 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई। हालांकि मतभेदों के चलते 3 साल बाद 1999 में भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया।
तब कांग्रेस ने बंसीलाल को समर्थन देकर सरकार बचा ली लेकिन बंसीलाल ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय की शर्त नहीं मानी।
जिसके बाद ओपी चौटाला ने बंसीलाल के विधायक तोड़ दिए और 24 जुलाई 1999 को दोबारा सीएम बन गए। साल 2000 में ओपी चौटाला बिजली फ्री देने के वादे पर 90 में से 47 सीटें जीत गए। फिर वे 5वीं बार मुख्यमंत्री बने।