सरकार बनते ही हरियाणा में डीएससी लागू, वंचित एससी वर्ग ने लड़ी थी लंबी लड़ाई

सिरसा | Khabrain Hindustan | भाजपाई जश्न |भाजपाई मायूस |

बाकी पार्टियां दलित वर्ग में एक जाति को देती रही तवज्जो, बीजेपी ने नब्ज पकड़ी और दलित वर्ग की 40 से अधिक जातियों को जोड़ लिया अपने साथ

सिरसा, 18 अक्टूबर। एससी व डीएससी वर्ग में फर्क न समझना सभी पार्टियों को भारी पड़ गया। बीजेपी को छोडक़र कांग्रेस व अन्य पार्टियां दलित वर्ग में सिर्फ एक जाति को ही महत्व देती रही।

बीजेपी ने एससी वर्ग में सेंधमारी कर सभी को पछाड़ दिया। दरअसल एससी ए और एससी बी वर्ग में दलित वर्ग की सभी जातियां हैं। दलित नेता भी एक ही जाति से उभरते रहे और आरक्षण का लाभ भी एससी की एक ही जाति के लोग ज्यादा लेते रहे।

इस लिए आरक्षण व अन्य हकों में डाका न मारा जाए को लेकर वंचित एससी वर्ग की 40 से अधिक जातियों की पैरवी करते हुए कुछ जागरूक लोगों ने मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचाया।

एक अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि प्रदेश की सरकारें वंचित एससी वर्ग को उनका बनता हक दे सकती हैं। इसके बाद वंचित एससी वर्ग को कांग्रेस से कोई उम्मीद नहीं थी क्योंकि कांग्रेस में बैठे दलित नेता इसका विरोध कर रहे थे ताकि दलित वर्ग में एक ही जाति को आरक्षण के तमाम लाभ मिलते रहें।

इस लिए वंचित एससी वर्ग की 40 से अधिक जातियों ने बीजेपी को भरोसे में लेकर बीजेपी के पक्ष में विधानसभा चुनावों में काम किया। परिणाम भी वैसे ही आए जैसे वे चाहते थे। बीजेपी भी इससे गदगद हुई।

इसी लिए अब सरकार बनते ही हरियाणा सरकार ने वंचित एससी वर्ग को आरक्षण का बनता हक देने की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी है। यानी डीएससी लागू कर दिया है।

सरकार में मंत्री भी दलित वर्ग की तरफ से डीएससी वर्ग के ही बनाए गए हैं। अब एक जाति से संबंध रखने वाले दलित नेताओं की भी पूछ कम हो जाएगी क्योंकि जग जाहिर हो गया है कि दलित नेता एक जाति को साथ लेकर नहीं बल्कि सभी जातियों को साथ लेकर चलते से बनता है।

डीएससी वर्ग की पैरवी करने वाले समुदाय से संबंधित लोग कहते हैं कि एक जाति को रिप्रजेंट करने वाले नेता से हम डीएससी वर्ग से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद बाद भी एक जाति विशेष वाले एएस नहीं चाहते कि फैसला लागू हो जबकि एससी वर्ग की 41 जातियां जो डीएससी में हैं वे चाहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू हो।

ऐसे में कोई नेता अगर पूरे एससी वर्ग का ठेका लेकर घूमे तो हम साथ नहीं हैं। बीजेपी ने डीएससी वर्ग की मांग पर ध्यान दिया और फैसले को लागू कर दिया।

ऐसे में दलित वर्ग का बड़ा वोट बैंक अब बीजेपी ने अपनी तरफ कर लिया है। कांग्रेस व अन्य पार्टियों में माने जाने वाले दलित नेताओं के हाथों से वोट बैंक खिस्क गया है।

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