न्यायसंगत सोच के धनी थे चौ. आद राम कड़वासरा, हमेशा आगे बढऩे के लिए करते रहे प्रेरित
सामाजिक समरसता की सोच के चलते हर समाज कर रहा उनकी कमी को महसूस
सिरसा, 25 जुलाई। गांव बकरियां वाली निवासी चौ. आद राम कड़वासरा भले ही अब हमारे बीच नहीं रहे पर उनकी सोच हमेशा हमें सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेगी।
करीब 84 वर्ष आयु भोग कर वे 16 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह गए, 26 जुलाई को अंतिम रस्म है। एक साधारण किसान परिवार में जन्म चौ. आद राम कड़वासरा ने न केवल खुद पूरी उम्र नशे से दूरी बना कर रखी बल्कि नशे की बुराई से बचने के लिए सभी को प्रेरित करते रहे।
पेशे से किसान थे पर सामाजिक मामलों की जो उनको समझ थी उसी के चलते उन्होंने सामाजिक समरसता के रास्ते पर चलते हुए हर वर्ग के लोगों के हितों की सोच हमेशा अपने जहन में रखी।
यही कारण है कि चौ. आद राम कड़वासरा के इस दुनिया से चले जाने के बाद समाज के सभी वर्ग उनकी कमी महसूस कर रहे है।
उन्होंने शिक्षा को बहुत महत्व दिया। वे सभी बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करते थे। उनकी इस सोच की बदौलत उनके बड़े बेटे डॉ. राजेंद्र कड़वासरा ने शारीरिक शिक्षा विषय में पीएचडी की और वे 24 साल से सरकारी अध्यापक के तौर पर शिक्षा की लौह जला रहे है।
इतना ही नहीं विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व अन्य संगठनों मेंं बढ़-चढकर भाग लेकर अपना राष्ट्र धर्म भी निभा रहे है। ये सब प्रेरणा डॉ. राजेंद्र कड़वासरा को अपने पिता से ही मिली।
वे अपने पिता को ही अपना आदर्श मानते है। इसी प्रकार चौ. आद राम कड़वासरा की तीसरी पीढ़ी में उनकी एक पौत्री डॉ. भावना कड़वासरा पीजीआई में बतौर डॉक्टर सेवाएं दे रही है तो एक पौत्री डॉ. रितू कड़वासरा डीआरडीए में बतौर वैज्ञानिक अपनी सेवाएं देकर राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका अदा कर रही है।
चौ. आद राम कड़वासरा के पौत्र रजत कड़वासरा वकील की पढ़ाई पूरी कर चुके है और अब वह सुप्रीम कोर्ट में इंटर्नशिप कर रहे हैं।
चौ. आद राम कड़वासरा के छोटे बेटे सुभाष कड़वासरा के दोनों बच्चे उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर रहे है। परिवार का शिक्षा के प्रति जो रुझान है उसका श्रेय पूरा परिवार चौ. आद राम कड़वासरा को ही दे रहे है।
डॉ. राजेंद्र कड़वासरा ने कहा कि अब सिर पर पिता का साया भले ही न रहा हो पर अब वह अपने पिता के दिखाए मार्ग पर चल कर समाज उत्थान में पहले से भी ज्यादा योगदान देंगे। यही मेरे पिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
चौ. आद राम कड़वासरा के निधन पर जहां समाज के हर वर्ग के लोगों उनके निवास पर पहुंच कर शोक प्रकट किया वहीं राजनीति से जुड़े लोगों ने भी उनके घर जाकर चौ. आद राम कड़वासरा के निधन पर शोक प्रकट किया है।
चौ. अभय सिंह चौटाला, मीनू बैनीवाल, चौ. आदित्य चौटाला, सांसद सुभाष बराला सहित हरियाणा व राजस्थान के अनेक नेताओं ने शोक प्रकट किया। इसी प्रकार आरएसएस, धार्मिक, सामाजिक, शिक्षा व अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने गांव बकरियां वाली पहुंच कर कड़वासरा परिवार के साथ सहानुभूति प्रकट की।
संघर्ष भरा रहा चौ. आद राम कड़वासरा का जीवन
गांव बकरियां वाली में चौधरी मुखराम जी कडवासरा के घर सबसे बड़ी सन्तान के रूप में जन्में चौधरी आदराम कडवासरा बचपन से ही होनहार थे।
पढ़ाई में मन लगाकर आगे बढऩे की उम्मीद के साथ सपने लेकर हिसार कालेज में दाखिला लिया खेलों में भाग लेते हुए कबड्डी और कुश्ती में क्षेत्र में प्रतिष्ठा पाई।
जीवन में आदर्श और नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर सुंदर सपने संजोए लेकिन भाग्य में कुछ और ही था । पिता जी की अचानक दोनों आंखों की रोशनी खोने के कारण जीवन में संघर्ष को सहारा बना लिया
और समस्याओं के साथ दो हाथ करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिष्ठित कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाते हुए भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष, आर्य समाज के अध्यक्ष पद पर रहते हुए समाज में फैली कुरीतियां दूर हो
ऐसा प्रयास जीवन पर्यन्त आधार बनाया । अनेक प्रकार के अभियान जैसे प्रकृति संरक्षण गाय बचाओ अभियान बेटी बचाओ अभियान शिक्षित समाज बने किसानों के लिए लाभ की योजना बनाई जाए ।