वोटों के लिए धन का प्रयोग, लोकतंत्र के लिए खतरा

सिरसा, 5 अक्टूबर। आज यानी पांच अक्टूबर 2014 को हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। मतदाताओं में उत्साह है। पर मतदाताओं में एक वर्ग ऐसा भी है जो पैसों में वोट बेचने को लालायित दिखा। नेताओं ने अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए पैसों की परंपरा पहले से ही शुरू की हुई है। 

इस चुनाव में भी वार्ड व गांव स्तर पर पार्टियों के दलाल मतदाताओं को पैसों का प्रलोभन देकर वोटों की खरीद फरोख्त करने की कोशिश करते हैं।  धन  का प्रयोग भविष्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा साबित हो सकता है।

जिस लोकतंत्र को प्राप्त करने के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी उसी अधिकार को चंद पैसों में खरीदने व बेचने में गुरेज नहीं किया जा रहा।

परंपरा ऐसी ही बनी रही तो साफ छवि व ईमानदार आदमी के लिए चुनाव जीतना असंभव हो जाएगा लोकतंत्र पर धन बल से किए जा रहे कुठाराघात को रोकने के लिए जागरूक लोगों को ही आगे आना होगा।

हालांकि चुनाव आयोग ने प्रलोभन देकर वोट हासिल करने के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं पर चोरी चुपके से यह खेल होता है।

गरीबों को किया जाता है बदनाम
दरअसल नेताओं की तरफ से भेजे गए पैसे कैसे बांटने है यह दलाल तय करते हैं। सीधा गरीब लोगों पर इस का ठीकरा फोड़ा जाता है। दलाल गरीब लोगों के वोटों की संख्या बता कर पैसों को खपा देते हैं।

ऐसा भी हो सकता है कि दलाल इन पैसों को अपने पास ही रख लेते होंगे। हमारे संवाददाता ने आर्थिक तौर पर कमजोर और जरूरतमंद 20 से अधिक परिवारों से यह जानना चाहा तो उन सब ने कसम खा कर कहा हम ने आज तक वोट के पैसे नहीं लिए हैं और न ही हमें कोई पैसे देने आया है।

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