चंडीगढ, 8 जून। हरियाणा में रोहतक लोकसभा से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद बनते ही राज्यसभा की सीट खाली हो गई है।
दीपेंद्र हुड्डा राज्य सांसद थे पर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनकी सीट रिक्त हो गई। ऐसे में इलेक्शन कमीशन जल्द ही
राज्य सभा चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी करेगा। नियम अनुसार सीट रिक्त होने के 6 महीने के भीतर ही चुनाव कराने लाजिमी होते हैं।
हरियाणा में साल के लास्ट में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए आयोग उससे पहले ही इस सीट पर चुनाव कराएगा।
दीपेंद्र हुड्डा की राज्यसभा की सीट खाली होते ही भाजपा और कांग्रेस ने दावेदारियां पेश करने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए भाजपा इस सीट की प्रबल दावेदार मानी जा रही है,
पर जन नायक जनता पार्टी व इनेलो का कांग्रेस को समर्थन मिल जाता है तो बीजेपी की मुश्किलें बढने की संभावना पैदा हो सकती हैं।
कानूनी विश्लेषकों के अनुसार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी), 1951 की धारा 69 (2) के तहत यदि कोई व्यक्ति जो पहले से राज्यसभा का सदस्य है
और वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाता है तो राज्यसभा में उस व्यक्ति की सीट सांसद चुने जाने की तारीख से ही खाली हो जाती है।
इसलिए 4 जून से ही दीपेंद्र हुड्डा की राज्यसभा की सदस्यता नहीं रही।
बता दें कि दीपेंद्र सिंह का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल 2020 से अप्रैल 2026 तक था।
पर उनके रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद उनकी राज्यसभा सदस्यता का शेष कार्यकाल एक वर्ष से अधिक है।
आगामी कुछ सप्ताह में भारतीय निर्वाचन आयोग देश के विभिन्न राज्यों में रिक्त हुई उन सभी राज्यसभा सीटों पर उपचुनाव कराएगा, जहां-जहां से मौजूदा राज्यसभा सांसद लोकसभा चुनाव जीते हैं।
भारतीय जनता पार्टी का दावा मजबूत होने का पहला कारण तो यही है कि यह पार्टी अभी सत्ता में है।
इसके अलावा बीजेपी 41 विधायकों के साथ सबसे बडा दल भी है।
हलोपा और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन मिलने के बाद अभी भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन है।
भाजपा का राज्यसभा सीट पर दावा मजबूत होने की दूसरा बडा कारण यह है कि जेजेपी के बागी विधायकों का भी उन्हें साथ है।
जजपा के 2 विधायक जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेडा ऐसे हैं, जो खुलेआम लोकसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन कर चुके हैं।
इसके अलावा तीन और जेजेपी के बागी विधायक राम कुमार गौतम, देवेंद्र बबली और ईश्वर सिंह भाजपा के संपर्क में बने हुए हैं।
दूसरे दलों में भी बीजेपी सेंधमारी कर सकती है, इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
क्योंकि हरियाणा में बीजेपी सत्ता में है। भाजपा के अलावा कई विधायक मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के संपर्क में हैं।
ऐसे में राज्यसभा सांसद के लिए होने वाली वोटिंग में भाजपा प्रत्याशी को फायदा मिलने की ज्यादा संभावनाएं है।
भाजपा के मुकाबले इस सीट पर कांग्रेस के मजबूत दावे की सिर्फ एक ही कारण है।
वह यह है कि कांग्रेस को जजपा और इनेलो के साथ निर्दलीय विधायकों का साथ मिल जाए।
अभी कांग्रेस के पास 29 विधायक (वरुण चौधरी के लोकसभा सांसद बनने के बाद) हैं।
जबकि अन्य विपक्षी दलों में जजपा के 10, 4 निर्दलीय और एक इनेलो के एक अभय चौटाला हैं।
कुल मिलाकर विधानसभा में विपक्ष के पास 44 विधायक हैं, जो अभी भाजपा से एक ज्यादा है।
अगर भाजपा के अलावा कांग्रेस और अन्य विधायक एकजुट हो गए तो भाजपा के लिए संकट पैदा कर सकते है।