राजनीति: लोकल को ना, बाहरी को हां

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हरियाणा में राजनीतिक पार्टियों नेे लोकल पर कम और बाहरी कंडीडेट पर ज्यादा है भरोसा

सिरसा, 30 अप्रैल। लोकसभा चुनावों को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एक-आधा सीट को छोड़ कर तकरीबन सभी सीटें अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए है।

मैदान में उतरे प्रत्याशियों की बात करें तो पार्टियों ने लोकल की बजाय बाहरी प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है।

अब ये जनता का रास आए न आए पर लोकल नेताओं को कहीं न कहीं बाहरी प्रत्याशियों से दिक्कत महसूस हो रही है, जो स्वाभाविक भी है।
बात सिरसा की करें तो कांग्रेस की प्रत्याशी कुमारी सैलजा हैं जो मूल रूप से हिसार की निवासी है। इसी प्रकार भाजपा के प्रत्याशी अशोक तंवर झज्जर से है।

हालांकि उन्होंने 2009 में सांसद बनने के बाद सिरसा में अपना घर खरीद लिया था ताकि उनको कोई बाहरी न कहे। पर उनका रूप निवास यहां नहीं है।

जजपा के रमेश खटक भी बाहर क्षेत्र से संबंधित है। इससे पहले 2019 में भी झज्जर से संबंधित सुनीता दुग्गल को बीजेपी ने मैदान में उतारा था और वे चुनाव जीती थी।

हिसार से भाजपा प्रत्याशी चौ. रणजीत सिंह, इनेलो प्रत्याशी सुनैना चौटाला व जजपा प्रत्याशी नैना चौटाला तीनों ही सिरसा से है।

इसी प्रकार हिसार से कांग्रेस के प्रत्याशी जय प्रकाश भी जींद जिले से संबंधित है और उनका गांव हिसार लोकसभा क्षेत्र में नहीं है। कुरुक्षेत्र से इनेलो के अभय सिंह सिरसा से हैं तो भाजपा प्रत्याशी नवीन जिंदल हिसार से संबंधित है।

इसके अलावा भी तकरीबन हर लोकसभा क्षेत्र से एक-दो प्रत्याशी तो बाहरी क्षेत्र से संबंधित है।

ऐसा करने से भले ही राजनीतिक पार्टियां कोई गेम करती हों पर लोकल लीडर जो अपने आपको टिकट की लाइन में मानता था, उनको मनोबल टूटा है।

वे अपनी पार्टी के खिलाफ बोल नहीं सकते क्योंकि पार्टी में उनको आने वाले समय में कुछ संभावनाएं नजर आती है।

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