चंडीगढ, 20 मार्च। हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट आ गई है। जी हां पूर्व संसदीय सचिव और तीन बार के विधायक रह चुके रामपाल माजरा ने अब एक बार फिर इंडियन नेशनल लोकदल का दामन थाम लिया है। इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला बुधवार को चंडीगढ में रामपाल माजरा के इनेलो पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। पार्टी में शामिल होते ही माजरा को इनेलो का प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया है। इसके बाद सूबे में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
इससे पहले माजरा ने इनेलो छोड़ भाजपा का दामन थामा था। लेकिन केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन के दौरान उन्होंने भाजपा छोड दी थी। इससे पहले इनेलो के कैथल के जिलाध्यक्ष राजा राम माजरा ने रामपाल माजरा की इनेलो में शामिल होने की पुष्टि की थी। बता दें कि करीब दस दिन पहले अभय चौटाला अचानक कैथल स्थित रामपाल माजरा के निवास पर पहुंचे थे।
उन्होंने माजरा के सामने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से इनेलो का प्रत्याशी बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। अभय चौटाला के बाद ओमप्रकाश चौटाला ने उनसे बातचीत की, जिसे माजरा मना नहीं कर सके और उन्होंने घर वापसी कर ली हैं।
इनेलो में माजरा की घर वापसी के बाद माना जा रहा था कि उन्हें इनेलो का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है और यह बात उनके पार्टी में शामिल होते ही सच हो गई। 24 फरवरी को नफे सिंह राठी की हत्या हो जाने के बाद इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली चल रहा था। चूंकि अब लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में पार्टी जल्द से जल्द योग्य व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देना चाहती थी। इसके बाद पार्टी में ये चर्चाएं जोर पकड रही थी कि माजरा इस पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं।
क्योंकि नफे सिंह राठी की जगह पर रामपाल माजरा हर पहलु से फिट बैठ रहे थे। बता दें कि वे इनेलो में रहते वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे और पार्टी की तरफ से उनकी बात को विशेष तवज्जो दी जाती थी। प्रदेश में सुलझे हुए वरिष्ठ नेताओं में रामपाल माजरा का नाम आता है।
रामपाल माजरा का राजनीतिक सफर
रामपाल माजरा ने अपना राजनीतिक सफर 1978 में गांव माजरा नंदकरण की सरपंची से शुरू किया था। वह पहली बार वर्ष 1996 में विधायक बने इस चुनाव में उन्होंने पाई विधानसभा से समता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा और हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार नर सिंह ढांचा को हराया। वर्ष 2000 में उन्होंने इनेलो की टिकट पर कांग्रेस के तेजेंद्र पाल मान को हराया था, लेकिन वर्ष 2005 के चुनाव में वह मान से हार गए।
माजरा ने वर्ष 2009 में कलायत विधानसभा से इनेलो टिकट पर चुनाव लड़े और प्रतिद्वंद्वी तेजेंद्रपाल मान को हराकर तीसरी बार विधायक बने। वर्ष 2014 के चुनाव में वह निर्दलीय उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी से हार गए थे। उसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने इनेलो को छोड़ कर भाजपा का दामन थामा था, लेकिन कृषि बिलों के विरोध का हवाला देते हुए उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी। माना जा रहा है कि रामपाल माजरा के इनेलो में शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। वे ओमप्रकाश चौटाला व अभय सिंह चौटाला के काफी करीबी नेता माने जाते है।