यहां से भी चौ. देवीलाल परिवार के सदस्य आमने-सामने
सिरसा, 27 अगस्त। हरियाणा विधानसभा चुनावों में जहां कई सीट हॉट सीट बनती जा रही है वहीं रानियां विधानसभा क्षेत्र भी हॉट सीट बन गई है ।
कारण है कि यहां से पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल परिवार के सदस्य यानी दादा-पोता आमने-सामने हो गए है। चौ. देवीलाल के पुत्र चौ. रणजीत सिंह हरियाणा सरकार में पॉवर मिनिस्टर हैं।
रणजीत सिंह इस हलके से दो बार चुनाव हार चुके थे लेकिन तीसरे प्लान 2019 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की और सरकार में मंत्री बने।
बेशक रणजीत सिंह ने अपने जीवन का अंतिम चुनाव कहकर मैदान में उतरे थे। लोगों की सहानुभूति भी थी लेकिन मंत्री बनने के बाद उनका दिल फिर से चुनाव मैदान में उतरने का है।
इसी कड़ी में उन्होंने भाजपा से टिकट न मिलने पर आजाद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है।
रणजीत सिंह के अलावा यहां से इनेलो के अर्जुन चौटाला मैदान में ताल ठोक चुके है, जो रिश्ते में रणजीत सिंह के पौते लगते है।
पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र एवं अभय सिंह चौटाला के पुत्र अर्जुन चौटाला के मैदान में उतरने से रानियां से विधानसभा चुनाव और ज्यादा रोचक हो गए है।
चौटाला परिवार ने अपने पुराने कार्यकर्ताओं को एक बार फिर सक्रिय कर दिए है। वे चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
बेशक अर्जुन चौटाला के मैदान में आने से उन नेताओं की मंशा पर पानी फिर गया है जो इनेलो की टिकट पर मैदान में आने को आतुर थे पर चौटाला परिवार के सदस्य का मैदान में आ जाना कार्यकर्ताओं के लिए उत्साह भरने जैसा हो गया है।
इस के अलावा जेजेपी ने अभी अपना उम्मीदवार ऐलान नहीं किया है। बता दें कि रानियां हलका में जेजेपी के पास कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जो पासा पलट सके।
हलोपा ने गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को रानियां से मैदान में उतार दिया है। धवल कांडा को बीजेपी का समर्थन भी प्राप्त हो सकता है।
अगर ऐसा हुआ तो धवन कांडा टक्कर में आ सकते हैं। क्योंकि उनके पिता गोबिंद कांडा वर्ष 2014 व 2019 में यहां से हलोपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों ही बार दूसरे नंबर पर रहे थे।
भाजपा नेता गोबिंद कांडा ने उसके बाद ऐलनाबाद उपचुनाव में अभय चौटाला को टक्कर दे दी थी।
रानियां विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार भी काफी हैं। यहां से पूर्व मंत्री जगदीश नेहरा पिछला विधानसभा चुनाव हारे थे।
इस बार उनके बेटे संदीप नेहरा कांग्रेस की टिकट के चाहवान हैं। संदीप कुछ समय पहले ही सरकारी नौकरी छोडक़र कांग्रेस में कुमारी सैलजा के नेतृत्व में विधिवत शामिल हुए हैं।
संदीप नेहरा जहां कांग्रेस के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं वहीं उनकी हलका में स्थिति बहुत अच्छी बनी हुई है क्योंकि चौ. जगदीश नेहरा के देहांत के बाद उनके साथ लोगों की सहानुभूति बनी हुई है।
लोगों का कहना है कि संदीप को विधानसभा में भेजना ही हमारी चौ. जगदीश नेहरा को सच्ची श्रद्धांजलि होग।
उनके अलावा सुभाष जोधपुरिया रानियां विधानसभा से ही कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लडऩे की इच्छा रखते हैं।
कांग्रेस में कभी अशोक तंवर के खासमखास रहे विशाल वर्मा भी पिछले चुनावों में अपनी उम्मीदवारी जाहिर कर चुके हैं और इस बार भी इच्छा रखते हैं।
रानियां में कंबोज और कुम्हार मतदाताओं की गिनती अच्छी है। ऐसे में अशोक वर्मा, विशाल वर्मा, शिल्पा वर्मा सहित पिछड़ा वर्ग के कई उम्मीदवार अलग-अलग दलों से उतरने की इच्छा पाले हुए हैं।
हाल ही में एक नया नाम डॉ. वाईके चौधरी का भी उछला। डॉ. वाईके चौधरी हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और लंबे समय से सिरसा में सेवाएं दे रहे हैं।
वे हरियाणा विधानसभा के पूर्व स्पीकर रघुबीर सिंह कादियान के रिश्तेदार हैं और रानियां विधानसभा क्षेत्र में राजनीति के मैदान में उतरने की इच्छा रखते हैं।
अर्जुन का सारथी कौन बनेगा
इनेलो से अर्जुन चौटाला रानियां से मैदान में आ गए है। जाट वोट बैंक में इनेलो की अच्छी पकड़ है। पर चौ. रणजीत सिंह व संदीप नेहरा के मैदान में आने की स्थिति में जाटों के वोट तीन जगह बंट सकते हैं।
ऐसे में एससी और बीसी वर्ग ही जीत हार का फैसला करेंगे। इन दोनों ही वर्गों का अधिक झुकाव या तो बीजेपी की तरफ है या फिर कांग्रेस की तरफ।
कांग्रेस की तरफ ज्यादा है जिस परिणाम लोकसभा चुनाव में सामने आ चुका है। अब इनेलो किस वोट बैंक में अधिक सेंधमारी कर सकती है उसी पर जीत निर्भर करेगी।