ये रिश्ता क्या कहलाता है

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गोपाल कांडा के घर पर बीजेपी का झंडा, लोगों की नाराजगी महंगी न पड़ जाए इस लिए बीजेपी के साथ रिश्ता को छुपा रहे

सिरसा। सिरसा विधानसभा से हलोपा के प्रत्याशी गोपाल कांडा का बीजेपी से मोहभंग नहीं हो रहा। सिर्फ कहने में ही वे इनेलो-बसपा के समर्थन की बात रहे हैं, पर हकीकत यही है कि बीजेपी से वह बाहर नहीं है।

रानियां रोड़ पर स्थित कांडा आवाज के बाहरी गेट पर बीजेपी का झंडा अब भी लहरा रहा है।

बता दें कि इनेलो के साथ गठबंधन करने के बाद गोपाल कांडा ने बीजेपी के साथ समर्थन की बात को नकारा था। यहां तक कि बीजेपी ने कांडा को जीताने के लिए अपने प्रत्याशी को मैदान से हटा लिया।

ऐसे में लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि गोपाल कांडा बीजेपी के साथ ही हैं। बीजेपी के प्रति नाराजगी का उन्हें नुकसान न हो जाए इस लिए वह बीजेपी के साथ गठबंधन की बात नकार चुके हैं। इससे एक बार इनेलो ने भी तेवर दिखाए थे। पर अब मामला ज्यों का त्यों चल रहा है।

इस सियासी सांठगांठ का कांडा को नुकसान हो सकता है, क्योंकि लोगों में बीजेपी के प्रति भारी नाराजगी पनप रही है। गोपाल कांडा के प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रत्याशी गोकुल सेतिया की मजबूती में सबसे बड़ा कारण यह है कि बीजेपी के प्रति नाराज लोग गोकुल के साथ आ गए हैं। गांवों में इसका ज्यादा असर देखने को मिल रहा है।


इस बार स्थिति ऐसी बनी हुई है कि प्रत्याशियों को लोगों के बीच में यह कहना पड़ रहा है कि वह चुनाव जीतने के बाद बीजेपी के साथ किसी सूरत में नहीं जाएंगे।

किसानों व आम लोगों की बीजेपी के प्रति नाराजगी को भांपने के बाद ही नेता लोग ऐसा बोलने पर मजबूर हैं। बीजेपी की झोली में बैठने वालों को वोट की चोट पर सबक सिखाने की बातें लोगों से चुनी जा रही है।

इसका परिणाम पर क्या असर पड़ेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, पर चुनावी माहौल में बीजेपी का नाम लेना भी प्रत्याशियों के टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।  

बीजेपी के शासन में किसानी मुद्दे इस स्तर तक उठे कि लोगों में बीजेपी के प्रति भारी रोष पैदा हो गया। इसके अलावा फैमिली आईडी, प्रॉपर्टी आई सहित पोर्टल बाजी से लोगों को जो परेशानियां हुई लोग उनको भूले नहीं हैं।

विकास के नाम पर कोई चीज दिखाई नहीं दे रही। ऐसे में बीजेपी के प्रत्याशियों या बीजेपी से समर्थित प्रत्याशियों का गांवों में घुसना भी मुश्किल हो सकता है।

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