ये कैसा बंधन है कि प्रचार में भी नहीं दिखते

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इस बार सिरसा में बीजेपी वाले कर रहे आराम

सिरसा। जीत हो या हार पर पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए चुनाव किसी पर्व से कम नहीं होता। चुनाव प्रचार में भाग लेने से ही उनकी हनक पूरी हो पाती है।

चुनावों की घोषणा होते ही नेताओं व कार्यकर्ताओं के पैरों घुंघरू से बंध जाते हैं। अपने व्यक्तिगत कामकाज भी स्थगित कर देते हैं ताकि चुनावी मौसम का पूरा आनंद ले सकें।

पर इस बार सिरसा विधानसभा में बीजेपी के कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा बनी है कि वे प्रचार में न आकर घरों में ही दुबके हुए हैं। इस बार ऐसे बंधन में बंध गए हैं कि वे घरों में रहने को मजबूर हैं और चुनाव के दिन साधारण मतदाता की तरह मतदान करेंगे।
दरअसल इस बार बीजेपी ने सिरसा विधानसभा से अपना उम्मीदवार मैदान में तो उतारा था पर गोपाल कांडा को चुनाव जिताने के लिए अपना उम्मीदवार बाद में मैदान से हटा लिया।

तब तक तो बंधन ठीकठाक लग रहा था। पर जैसे ही बीजेपी की तरफ से गोपाल कांडा को समर्थन देने की बात कही गई तो सबसे पहले गोपाल कांडा के साथ गठबंधन में आए इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने इस बार ऐतराज जता दिया।

इसके बाद मतदाताओं की तरफ से आया रिएक्शन को भांपते हुए गोपाल कांडा ने तुरंत कहा कि उनका बीजेपी से गठबंधन नहीं है। इसके बाद वे इस बात से बचते नजर आ रहे हैं

कि मतदाताओं में ऐसा न लगे कि वे बीजेपी के साथ अंदर खाते मिले हुए हैं। पर इससे बीजेपी के नेता व कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में भाग लेने से वंचित रह रहे हैं। उनकी हनक कैसे पूरी हो?

उनको तो डोर टू डोर वोट मांगने, चुनावी जनसभाएं करने, अपनी पार्टी की उपलब्धियां गिनाने, भविष्य में विकास की गंगा बहा देने की बात कहने का अवसर ही नहीं मिल रहा।

ऐसा पहले तो शायद कभी न हुआ था। वोट भी देंगे और पब्लिक के सामने खुल कर भी नहीं आ सकते। इसको देख कर कहा जा सकता है कि ये कैसे बंधन है जिसमें गोपाल जी आपने हमें बांध दिया है।

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