प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हादसा, कई घायल
मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर प्रयागराज के संगम क्षेत्र में लाखों श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए एकत्र हुए। मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात करीब 1 बजे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई, जिसमें कई लोग घायल हो गए।
इसके बाद प्रशासन ने एहतियातन दूसरा अमृत स्नान स्थगित कर दिया।
महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान की परंपरा
मौनी अमावस्या का स्नान हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
महाकुंभ मेले में अखाड़ों के संत और नागा साधु इस विशेष दिन पर भव्य जुलूस के साथ संगम घाट पहुंचते हैं और स्नान करते हैं।
क्या हुआ संगम क्षेत्र में?
मंगलवार को मौनी अमावस्या से एक दिन पहले करीब 5 करोड़ श्रद्धालु संगम पहुंचे। बुधवार सुबह लाखों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ संगम घाट पर उमड़ी, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बयान
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा, “आज सुबह जो घटना हुई, उसे देखते हुए हमने मौनी अमावस्या के अमृत स्नान को रद्द करने का निर्णय लिया है। - सभी संत और अखाड़े स्नान के लिए तैयार थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से यह फैसला लिया गया।”
- कई लोग घायल
घटना में कई महिलाएं और बच्चे घायल हुए। प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया और स्थिति को नियंत्रित किया।
सुरक्षा में चूक के कारण उठे सवाल
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। फिर भी इतनी बड़ी संख्या में भीड़ के कारण स्थिति बिगड़ गई।
सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम:
- भीड़ प्रबंधन के लिए बैरिकेडिंग।
- पुलिस और स्वयंसेवकों की तैनाती।
- सीसीटीवी कैमरों से निगरानी।
अखाड़ों के स्नान की परंपरा और महत्व

महाकुंभ में तीन प्रमुख अखाड़े – सन्यासी, बैरागी और उदासी, क्रमबद्ध तरीके से स्नान करते हैं। नागा साधु, जो भस्म में लिपटे रहते हैं, अपने जुलूस के साथ संगम घाट पहुंचते हैं। यह दृश्य भक्ति और दिव्यता से भरपूर होता है।
प्रशासन की बड़ी चुनौती
- प्रवेश द्वारों पर बढ़ी भीड़
श्रद्धालुओं की संख्या प्रशासन के अनुमान से अधिक होने के कारण भगदड़ की स्थिति बनी। - स्वास्थ्य सेवाएं
घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर भीड़ के कारण स्थिति और जटिल हो गई।
भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के उपाय
- श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने के लिए डिजिटल पास की व्यवस्था।
- स्नान के लिए अलग-अलग समय स्लॉट तय करना।
- संगम क्षेत्र में स्थायी संरचनाओं का निर्माण।
मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर मौन रहकर संगम में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है। इस दिन किए गए दान और पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ और पर्यटन
महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। दुनिया भर से लोग इस आयोजन का हिस्सा बनने आते हैं। हालांकि, ऐसे हादसे पर्यटन और धार्मिक भावना दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
निष्कर्ष
प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अवसर पर हुई भगदड़ ने सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन को भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
श्रद्धालुओं को भी संयम और अनुशासन बनाए रखने की सलाह दी गई है ताकि इस पवित्र आयोजन का महत्व बना रहे।