भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को करनाल से व अशोक तंवर को सिरसा से उतारा मैदान में

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चंडीगढ, 13 मार्च। भारतीय जनता पार्टी द्वारा हरियाणा में लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। इस सूची में 6 उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है। इनमें हरियाणा के मुख्यमंत्री पद और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले मनोहर लाल खट्‌टर को करनाल से टिकट दिया गया है जबकि पार्टी ने करनाल से मौजूदा सांसद संजय भाटिया की टिकट काट दी है।

इसी प्रकार सिरसा से मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल का टिकट काट कर आप से भाजपा में आए अशोक तंवर को मैदान में उतारा है। इसके अलावा भाजपा ने गुरुग्राम से राव इंद्रजीत और फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर को फिर से मैदान में उतारा हैं। अंबाला आरक्षित सीट से पूर्व सांसद रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को टिकट दी गई है। यह सीट रतन लाल कटारिया के निधन के बाद करीब एक साल से खाली पडी थी।

भिवानी-महेंद्रगढ से मौजूदा सांसद चौधरी धर्मबीर को तीसरी बार टिकट दी गई है। वे पिछले दो चुनाव में जीते थे। वर्ष 2014 में धर्मबीर कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हुए थे।


वहीं हरियाणा में दो सांसदों की टिकट फंस गई है। इनमें सोनीपत से रमेश चंद्र कौशिक और रोहतक से डॉ. अरविंद शर्मा शामिल हैं। रोहतक से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा के चुनाव लडने के पूरे आसार हैं। हिसार से भाजपा के सांसद बृजेंद्र सिंह ने कुछ दिन पहले भाजपा छोड दी थी। वह कांग्रेस में शामिल हो गए।

उनके बाद हिसार सीट पर कई बडे दावेदार ताल ठोकने के लिए कदमताल करते दिख रहे हैं। यहां से पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और कुलदीप बिश्नोई प्रमुख दावेदार हैं। हालांकि कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को भाजपा विधायक का टिकट दे चुकी है। वह चुनाव भी जीत चुके हैं।


सिरसा लोकसभा सीट से 2019 के चुनाव में सांसद चुनी गईं सुनीता दुग्गल का टिकट कट गया। बताया जा रहा है कि भाजपा, आरएसएस और प्राइवेट एजेंसियों के सर्वे में साफ हो गया था कि इस सीट पर सुनीता दुग्गल की स्थिति काफी कमजोर है। इसके बाद साफ हो गया था कि भाजपा उन्हें दोबारा टिकट नहीं देगी। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से अशोक तंवर को भाजपा में शामिल कराया गया।

सिरसा लोकसभा सीट में किसानों का अच्छा-खासा दबदबा है। किसान आंदोलन के दौरान सुनीता दुग्गल की कई बार आंदोलनकारियों से नोकझोंक भी हो गई थी।

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