बिना ऑक्सीजन दुनियां की सबसे ऊंची चोटी को फतेह करने का है सपना: चाँद माही उर्फ हुकम चंद

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मीडिया से रू-ब-रू होकर लगाई सहयोग की गुहार

सिरसा। शौक हर व्यक्ति को होता है, लेकिन जब वही शौक जुनून बन जाए तो इंसान हर उस मंजिल को पा लेता है, जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं हो।

और तो और जब परिस्थितियां विपरित हो तो मंजिल को पाने का मजा ही कुछ और है। ऐलनाबाद निवासी पर्वतारोही चाँद माही उर्फ हुकम चंद भी एक ऐसा ही उदाहरण बनकर उन लोगों के लिए मिसाल बने हंै,

जो साधन संपन्न होने के बाद भी कुछ नहीं कर पाते। मीडिया से मुखातिब होते हुए चांद माही ने बताया कि अब तक भारत में 9 माऊंनटेन व भारत से बाहर अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माऊंट किलीमंजरो व यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एल्ब्रश पर बिना ऑक्सीजन चढ़ाई कर चुके हंै।

उनका सपना है कि वो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट को भी बिना ऑक्सीजन फतेह कर अपना व अभिभावकों का नाम देश व विश्व के पटल पर चमकाऊं।

बतौर चाँदी माही ने बताया कि उसके परिवार में 6 बहन-भाई व माता-पिता हंै। माता-पिता मजदूरी करते हंै, लेकिन बावजूद इसके उसे 12वीं तक पढ़ाया।

उन्होंने माऊंटेन के बारे में सुना था, फिर उसके प्रति ऐसा जुनून चढ़ा कि दोबारा पीछे मुडक़र नहीं देखा। कुछ समाजसेवियों से सहयोग व प्रोत्साहन मिला, मगर आगे के सफर के लिए नाकाफी था।

फिर भी वह हार नहीं मानने वाला और अपने सफर को यूं ही अनवरत जारी रखने का प्रयास रहेगा।

स. सुखदेव सिंह ढिल्लों से मिला प्रोत्साहन:
चाँद माही ने बताया कि उसने पर्वतारोहियों के बारे में सुना व पढ़ा था। इसके बाद उसने पर्वतारोही की कई गतिविधियों में भाग लिया, लेकिन उसके हुनर की कदर नहीं हुई।

तभी एक इंसान मिले सुखदेव सिंह ढिल्लों, जोकि स्काऊट एंड गाइड के जिला सचिव हंै, ने उसकी गतिविधियों व हौंसले को देखकर लगातार प्रोत्साहित किया और मदद भी की, जिसकी बदौलत वह इस मुकाम तक पहुंचा है।

हालांकि कुछ समाजसेवियों व संस्थाओं ने भी उसे प्रोत्साहित किया, लेकिन आर्थिक सहयोग न मिलने के कारण उसका सपना अभी अधूरा है।

सरकार व प्रशासन से नहीं मिला आर्थिक सहयोग:

चाँद माही उर्फ हुकम चंद ने बताया कि उसने विपरित परिस्थितियों के बावजूद धरातल से उठकर इस मुकाम तक पहुंचने का हौंसला दिखाया है। अगर सरकार व प्रशासन से सहयोग मिलता तो वह आज अपना एक अलग ही मुकाम बना लेता।

उसने बताया कि जिला उपायुक्त से लेकर सांसद, सीएम तक को इस बाबत पत्राचार से अवगत करवाया गया, लेकिन कहीं से भी सहयोग नहीं मिला, जिसका उसे काफी मलाल है।

बिना ऑक्सीजन माऊंनटेन करने का लक्ष्य:


चाँदी माही ने बताया कि उसने अभी तक जितने भी पर्वतारोही देखे हंै, वो सभी पर्वतारोही ऑक्सीजन के साथ अपनी मंजिल का सफर शुरू करते हंै, लेकिन उसने जितने भी माऊंनटेन किए हंै,

वो सभी बिना ऑक्सीजन के किए हंै। उसका सपना है कि वह दुनियां की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट को भी बिना ऑक्सीजन के फतेह करेगा।

हालांकि इसमें जान का जोखिम है, लेकिन जुनून व बुलंद हौंसले के आगे ये सब बौना साबित होगा, ऐसा उसे विश्वास है।

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