सिरसा, 10 जुलाई। पूर्व मंत्री स्वर्गीय चौ. जगदीश नेहरा के पुत्र एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता संदीप नेहरा ने हरियाणा के रानियां हलका में पैदल यात्रा निकाली जिसका पहला चरण बुधवार को पूरा कर लिया है।
संदीप नेहरा ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से रानियां हलके से टिकट के लिए दावेदारी ठोक दी है। वे कई माह पहले से ही हलके में सरगर्म हो गए थे।
इसी कड़ी में उन्होंने हलके में करीब एक सौ किलो मीटर की पैदल यात्रा कर दर्जनों गांवों में दस्तक दी है। बुधवार को पहले चरण की पैदल यात्रा का समापन गांव पन्नीवाला मोटा में समापन हो गया।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता संदीप नेहरा ने कहा कि पैदल यात्रा के दौरान उनको लोगों से मिलने का खुला समय मिला है। इस यात्रा में उन्हें उन लोगों से मिलने का अवसर मिला जो कभी चौ. जगदीश नेहरा के सहयोगी रहे थे।
उन्होंने कहा कि मुझे इस यात्रा में लोगों का अपार समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे पिता चौ. जगदीश नेहरा के जितने भी साथी रहे हैं सभी मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं और यात्रा में भी साथ चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अब मैं अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में आया हूं। संदीप नेहरा ने कहा कि मैं रानियां से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ कर क्षेत्र का प्रतिनिधितत्व करना चाहता हूं।
क्यों कि इस क्षेत्र की विकास के मामले में लंबे अरसे से अनदेखी होती आ रही है। अब कांग्रेस की सरकार बनने पर विकास कार्यों की एक बार फिर से शुरूआत की जाएगी।
बीजेपी ने जो लोगों को परेशान करने की नीतियां लागू कर रखी हैं उनको बंद किया जाएगा और लोगों की सुविधा व लाभ के अनुसार नीतियां लागू की जाएंगी।
संदीप नेहरा ने कहा कि यात्रा तो आज संपन्न हो जाएगी पर इसके बाद फिर से हलके में लगातार रहूंगा और घर-घर जाकर कांग्रेस की नीतियों की नीतियों का प्रचार करूंगा।
यात्रा के दौरान लोगों ने बताया कि किस प्रकार वे बीजेपी की प्रॉपर्टी आईडी, फैमिली आईडी, फसली ब्योरा आदि के झंझट में बुरी तरह से फंसे हुए हैं।
पोर्टलबाजी से लोगों को परेशान किया जाता रहा है। कार्यालयों में लोग काम काज के लिए जाते हैं तो एक ही जबाव मिलता है कि पोर्टल बंद है। ऐसे में लोगों को बेवजह परेशान करने के सिवाय बीजेपी ने कुछ नहीं किया।
अब लोगों बीजेपी सरकार से इतने परेशान हो चुके हैं कि बीजेपी को सबक सिखाने के लिए चुनावों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
इस यात्रा में सहीराम सहारण, भूप सिंह नेहरा, सुरेंद्र नैन, जगदीश थोरी, बलदेव लंहगेवाला, मलागर सिंह साहूवाला, चंद्रभान बिरड़ा, जीत बिरड़ा, बृजलाल नौखवाल, दलीप घोडांवाली, वेदपाल नेहरा, आशा राम जांदू, विकास डूडी सहित अनेक सहयोगी विशेष रूप से शामिल रहे।