पूर्व सीएम चौ. ओमप्रकाश चौटाला का निधन, संस्कार आज

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89 वर्ष की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आज दोपहर ली अंतिम सांस

गुरुग्राम, 21 दिसंबर। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का निधन हो गया है। वे 89 साल के थे। शुक्रवार को वे गुरुग्राम में अपने घर पर थे। उन्हें दिल का दौरा पड़ा। जिसके बाद साढ़े 11 बजे उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में लाया गया। करीब आधे घंटे बाद दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

वे हृदय रोग, मधुमेह समेत कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त थे। उनका पहले से ही गुरुग्राम के मेदांता और आरएमएल अस्पताल में इलाज चल रहा था। पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, सीएम नायब सैनी समेत बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया।

ओपी चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की 5 संतानों में सबसे बड़े थे। उनका जन्म 1 जनवरी, 1935 को हुआ। वे 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। शुरुआती शिक्षा के बाद ही चौटाला ने पढ़ाई छोड़ दी थी। 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के दौरान जब चौटाला तिहाड़ जेल में बंद थे,

तब उन्होंने 82 साल की उम्र में 10वीं-12वीं की परीक्षा पास की। आज शुक्रवार (20 दिसंबर) शाम तक उनका पार्थिव शरीर सिरसा स्थित उनके पैतृक गांव चौटाला लाया जाएगा। कल सुबह 8 से 2 बजे तक उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए रखी जाएगी। कल दोपहर 3 बजे तेजा खेड़ा फार्म सिरसा के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।


ओपी चौटाला के निधन पर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने शोक जताते हुए कहा कि उन्होंने हरियाणा और देश की सेवा में उचित योगदान दिया। हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने कहा कि उन्होंने प्रदेश और समाज की जीवनपर्यंत सेवा की।

देश व हरियाणा प्रदेश की राजनीति के लिए यह अपूरणीय क्षति है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के विकास में उनके अहम योगदान को सदैव याद किया जाएगा। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रदेश के विकास में काफी योगदान दिया।

कांग्रेस विधायक रेसलर विनेश फोगाट ने कहा कि ओपी चौटाला ने अपने जीवन को जनता की सेवा और हरियाणा के विकास के लिए समर्पित किया। परिवहन मंत्री अनिल विज ने कहा- बेहद दुखदाई खबर है। वो बहुत अच्छे एडमिनिस्ट्रेटर थे।

उनकी यादाश्त बहुत थी, जिनसे एक बार मिल लेते थे, भूलते नहीं थे। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा- पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला का निधन पूरे राज्य और देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में बड़ा योगदान दिया।
पहला चुनाव हार गए थे चौटाला, उपचुनाव में जीते


ओमप्रकाश चौटाला की चुनावी राजनीति की शुरुआत 1968 में शुरू हुई। उन्होंने पहला चुनाव देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से लड़ा। उनके मुकाबले पूर्व सीएम राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी से लालचंद खोड ने चुनाव लड़ा।

इस चुनाव में चौटला हार गए। हालांकि हार के बाद भी चौटाला शांत नहीं बैठे। उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और हाईकोर्ट पहुंच गए। एक साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालचंद की सदस्यता रद्द कर दी। 1970 में उपचुनाव हुए तो चौटाला ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने।

साल 1987 के विधानसभा चुनाव में लोकदल को 90 सीटों में से 60 पर जीत मिली। ओपी चौटाला के पिता देवीलाल दूसरी बार सीएम बने। दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में केंद्र में जनता दल की सरकार बन गई।

जिसमें वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। देवीलाल भी इस सरकार का हिस्सा बने और उन्हें उपप्रधानमंत्री बनाया गया। अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक हुई। जिसमें ओपी चौटाला को सीएम के लिए चुन लिया गया।

पहली बार सीएम बन पिता की सीट पर लड़े

2 दिसंबर 1989 को ओमप्रकाश चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। तब वे राज्यसभा सांसद थे। सीएम बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी था। देवीलाल ने उन्हें अपनी पारंपरिक सीट महम से चुनाव लड़वाया, लेकिन खाप पंचायत ने इसका विरोध शुरू कर दिया।

27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई, जो हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की भेंट चढ़ गई। चुनाव आयोग ने आठ बूथों पर दोबारा वोटिंग कराने के आदेश दिए। जब दोबारा वोटिंग हुई, तो फिर से हिंसा भडक़ उठी।

चुनाव आयोग ने फिर से चुनाव रद्द कर दिया। लंबे सियासी घटनाक्रम के बाद 27 मई को फिर से चुनाव की तारीखें तय की गईं, लेकिन वोटिंग से कुछ दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार अमीर सिंह की हत्या हो गई। चौटाला ने दांगी के वोट काटने के लिए अमीर सिंह को डमी कैंडिडेट बनाया था।

अमीर सिंह और दांगी एक ही गांव मदीना के थे। हत्या का आरोप भी दांगी पर लगा। जब पुलिस दांगी को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची, तो उनके समर्थक भडक़ गए। पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चली दीं। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई।

उनके दोनों बेटे अब राजनीतिक तौर पर अलग हैं। अभय इनेलो को संभाल रहे हैं, वहीं अजय चौटाला ने उनसे अलग होकर जननायक जनता पार्टी बना ली थी। महम में हुई इस हिंसा का शोर संसद में भी गूंजने लगा।

प्रधानमंत्री वीपी सिंह और गठबंधन के दबाव में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री देवीलाल को झुकना पड़ा। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के साढ़े 5 महीने बाद ही ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह बनारसी दास गुप्ता को सीएम बनाया गया।

दूसरी बार 5 दिन में ही मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा:

कुछ दिन बाद चौटाला दड़बा सीट से उपचुनाव जीत गए। बनारसी दास को 51 दिन बाद ही पद से हटाकर चौटाला दूसरी बार सीएम बन गए। मगर, महम में हुई हिंसा का मामला ठंडा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी चाहते थे कि चौटाला पर जब तक केस चल रहा है वे सीएम न बनें।

मजबूरन 5 दिन बाद ही चौटाला को फिर से पद छोडऩा पड़ा। अब की बार उन्होंने मास्टर हुकुम सिंह फोगाट को सीएम बनाया। साल 1990 के बाद प्रधानमंत्री वीपी सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाजपा ने राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा निकालने का फैसला किया।

वीपी सिंह ने आडवाणी से रथयात्रा न निकालने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी से नाराज भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस से लिया। 7 नवंबर 1990 को वीपी सिंह की सरकार गिर गई।

इसके बाद जनता दल से चंद्रशेखर पीएम बन गए और देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बना दिया। इसके चार महीने बाद यानी, मार्च 1991 में देवीलाल ने हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया।

इस फैसले से राज्य में पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए। कुछ विधायकों ने पार्टी भी छोड़ दी। नतीजा ये हुआ कि 15 दिनों के भीतर ही सरकार गिर गई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। 15 महीने के भीतर तीसरी बार चौटाला को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

1996 में चुनाव के बाद बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी ने भाजपा के साथ सरकार बनाई। बंसीलाल सीएम बने, लेकिन आपसी मतभेदों के चलते 1999 में भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद कांग्रेस ने बंसीलाल सरकार को समर्थन दिया। विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई तो कांग्रेस की मदद से सरकार बच गई।

सरकार बचाने के एवज में तय हुआ था कि बंसीलाल अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करेंगे और विधानसभा भंग करके चुनाव कराए जाएंगे। इसी सिलसिले में बंसीलाल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। इस दौरान चुनाव में टिकट के लिए अपने उम्मीदवारों की लिस्ट भी उन्हें सौंपी।

जिसे देख सोनिया गांधी ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया और बंसीलाल नाराज होकर लौट आए। इसके बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और बंसीलाल की सरकार गिर गई। तब तक ओपी चौटाला के पिता देवीलाल ने 1996 में इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो नाम से नई पार्टी बना ली थी।

1999 में बंसीलाल की सरकार गिरते ही ओमप्रकाश चौटाला एक्टिव हो गए। उन्होंने बंसीलाल की पार्टी के कुछ विधायकों को तोडक़र सरकार बना ली। 24 जुलाई को ओमप्रकाश चौटाला चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

साल 2000 में ओपी चौटाला ने किसानों से वादा किया कि उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो बिजली फ्री कर देंगे। साथ ही जिन किसानों ने बिजली बिल भरने के लिए कर्ज लिया है, उनका कर्ज भी हम माफ कर देंगे। ओमप्रकाश का ये वादा काम कर गया। 4 साल पहले बनी उनकी पार्टी ‘इंडियन नेशनल लोकदल’ यानी इनेलो ने 47 सीटें जीत लीं।

ओमप्रकाश चौटाला पांचवीं बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। सत्ता की कमान संभालने के बाद चौटाला ने गांव-गांव तक बिजली तो पहुंचाई, लेकिन नया मीटर लगने से बिजली बिल अचानक से बढ़ गया। साल 2002, बिजली बिल बढऩे से किसान ठगा महसूस करने लगे।

उन्होंने बिजली बिल भरने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सरकार ने मुफ्त बिजली का वादा किया था। इधर सरकार ने कई गांवों की बिजली काट दी। नतीजा किसान सडक़ों पर आ गए।

सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। जींद हाईवे जाम कर दिया। उसी दौरान जींद के एक गांव कंडेला में किसानों की उग्र भीड़ पर पुलिस ने गोलियां चला दीं। 9 किसानों की मौत हो गई।

2005 के बाद से कभी सत्ता में नहीं पहुंची इनेलो:


तीन साल बाद यानी, 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में चौटाला की पार्टी महज 9 सीटों पर सिमट गई। चौटाला दो सीटों से चुनाव लड़े थे। एक सीट से हार गए। उनके 10 मंत्री भी अपनी सीट नहीं बचा पाए।

तब से इनेलो कभी सत्ता में नहीं पहुंची। 2018 में पार्टी टूट गई और 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में एक सीट पर सिमट गई। 2024 में इनेलो को सिर्फ 2 ही सीटों पर जीत मिली। ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला भी चुनाव हार गए।

हालांकि उनके पोते अर्जुन चौटाला और भतीजे आदित्य देवीलाल चुनाव जीत गए। टीचर भर्ती घोटाले में 8 साल तिहाड़ जेल में रहे

साल 1999-2000 में हरियाणा के 18 जिले में टीचर भर्ती घोटाला सामने आया। यहां मनमाने तरीके से 3206 जूनियर बेसिक ट्रेनिंग टीचरों की भर्ती की गई थी। उस समय के प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने इसे उजागर किया। उन्होंने घोटाले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

कोर्ट के आदेश पर 2003 में सीबीआई ने घोटाले की जांच शुरू की।

जांच के बाद जनवरी, 2004 में सीबीआई ने सीएम ओमप्रकाश चौटाला, उनके विधायक बेटे अजय चौटाला, समेत 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। जनवरी, 2013 में दिल्ली में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चौटाला और उनके बेटे अजय सिंह चौटाला को 10 साल की सजा सुनाई।

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