सिरसा। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के महज तीन माह शेष रह गए हैं। ऐसे में सभी पार्टियों को
जनता की तकलीफें दिखाई पडऩे लगी है। खास बात यह है कि बीजेपी और बीजेपी के साथ गठबंधन
में रही जेजेपी भी जनता की हिमायती होने की बात कर रहे हैं। अगर वे वास्तव में जनता की
हिमायती होते तो सत्ता में रहते हुए लोगों की समस्याओं का निदान करने की बजाय उनको परेशान न
करते। कांग्रेस भी पिछे नहीं है। कांग्रेस के नेता लोगों के साथ ऐसे बात कर रहे हैं जैसे वे उनके सच्चे
हमदर्दी हों। अगर ऐसा होता तो दस साल से जनता जिन परेशानियों से गुजर रही थी उसको लेकर
जनता के साथ क्यों नहीं खड़े हुए? कुल मिला कर कहा जा सकता है कि पांच साल बाद चुनावों के
मौसम में ही जनता सर्वाेपरी होती है उसके बाद जनता जाए भाड़ में।
बीजेपी ने दस साल में सिवाय जनता को परेशान करने के कुछ नहीं किया। ऐसा मानना है कि पब्लिक
का। कभी प्रॉपर्टी आई तो कभी फैमिली आई की उलझन में डाले रखा। प्र्रॉपर्टी का सर्वे सरकार द्वारा
करवाया गया। जिस एजेंसी ने सर्वे में भारी त्रुटियां छोड़ी उसको सर्वे करने की पेमेंट हो गई और
जनता को लाइनों में लग कर अपनी प्रॉपर्टी की त्रुटियां सही करवानी पड़ी । उसके लिए उन्होंने फीसें
भी भरी और रिश्वत भी दी। ऐसे में बीजेपी से जनता का मौहभंग होना लाजिमी था। इसी प्रकार हर क
ाम में फैमिली आईडी जरूर कर दी गई। जबकि आधार कार्ड या अन्य आईडी को वैकल्पिक तौर पर
नहीं माना गया। ऐसे में लोगों को फैमिली आईडी के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं क्योंकि
आए दिन पोर्टल व सर्वर बंद पड़े रहते हैं। ऐसे में लोग थक हार कर बीजेपी का पक्का डोरा करने का
मन बनाने के अलावा कुछ नहींं सोच रहे। जजपा भी बीजेपी की गल्त नीतियों के खिलाफ जनता में जाकर बोल रही है पर लोग
उनको सरेआम जबाव दे रहे हैं कि आप बीजेपी की सरकार में भागीदारी थे तो तब आप ने इन समस्याओं को क्यों नहीं
समझा? कुल मिला कर कहा जा सकता है कि जनता के साथ कोई पार्टी नहीं है बस चुनावी सीजन में उन्हें लोगों से वोट लेने
होते हैं इस लिए जनता के हिमायती होने का ड्रामा करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि जनता को परेशान करने वाले सिस्टम का कभी इलाज होगा या नहीं?