गांवों, शहरों से हजारों लोगों ने अनाजमंडी पहुंचकर अर्पित किए श्रद्धासुमन
राजकुमार शर्मा, राजेश शर्मा व मोहित शर्मा को दिया स्नेहिल आशीर्वाद
सिरसा, 20 अगस्त । जगत में ऐसे विरले ऐतिहासिक उदाहरण मिलते हैं जब दैहिक रूप से बिछुड़ी आत्मा को उसके सामाजिक संस्कारों,
सरोकारों के बूते सदैव जीवंत महसूस किया जाता है और ऐसे ही कर्मयोगी पंडित होशियारीलाल शर्मा के रूप में हुतात्मा हमारे बीच दैहिक रूप में न होते हुए भी अपने उ‘च मानवीय संवेदनाओं के मानदंडों के आधार पर वैचारिक व सैद्धांतिक तौर पर विद्यमान हैं।
उनके संस्कारों की बेल से केवल और केवल शर्मा परिवार ही सिंचित नहीं हो रहा बल्कि समाज का हर व्यक्ति उनके मानवीय पहलुओं से प्रेरित हो रहा है।
प्रत्येक प्राणी को नेकी, आत्मीयता, परपीड़ा को महसूस कर हरसंभव मदद के लिए तत्पर रहने और समूचे समाज को अपना परिवार मानने वाले जैसे गुणों से युक्त रहे स्व. पंडित होशियारीलाल
आज भी अपने विचारों के तेज के आधार पर समाज के हर वर्ग को प्रेरित करने वाली हस्ती के रूप में देखे जाते हैं और यही कारण है कि आज उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर समूल सिरसा जिला उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने सिरसा अनाजमंडी उमड़ पड़ा।
स्व. पंडित होशियारी लाल शर्मा की तृतीय पुण्यतिथि पर उनके निमित्त शर्मा परिवार की ओर से किए गए सामाजिक सद्भाव के कार्यक्रम में सिरसा अनाजमंडी में सुबह 9 बजे हवन यज्ञ आयोजित किया गया
जिसमें शर्मा परिवार के साथ-साथ समाज के हर सामान्य से लेकर गणमान्यजनों ने पंडित होशियारीलाल शर्मा की आत्मिक शांति को आधार बनाकर हवन में आहुतियां डाली। इस दौरान हजारों लोगों ने पंडित होशियारीलाल शर्मा के बड़े सुपुत्र राजकुमार शर्मा, उनके अनुज राजेश शर्मा, उनके
पौत्र मोहित शर्मा को दोनों हाथों से आशीर्वाद दिया। शर्मा परिवार ने भी हजारों लोगों का उनके पिता व दादा के प्रति दिखाए गए अनन्य वात्सल्य, सम्मान व आत्मीयता के लिए आभार जताया।
संस्कारों की बेल को विकसित कर रहा शर्मा परिवार पंडित होशियारीलाल शर्मा की राजनीतिक डगर पर उपजी परहित के लिए समर्पित भाव से कार्य करने की प्रेरणाओं की बेल को अब उनके सुपुत्र राजकुमार शर्मा, राजेश शर्मा व पौत्र मोहित शर्मा बेहतर तरीके से सिंचित कर रहे हैं।
उन्हीं परंपराओं के अनुसरण के कारण ही आज सिरसा विधानसभा क्षेत्र के तहत आते सभी गांव व वार्डों के लोगों का परस्पर प्रेम पहले की मानिंद ही यथावत है।
लोगों में दादा के नाम से प्रचारित पंडित होशियारीलाल शर्मा के प्रति सम्मान व स्नेह शर्मा परिवार के प्रति आज भी यूं ही नजर आया जब हजारों लोगों ने इस कार्यक्रम में शामिल इस परिवार के प्रत्येक सदस्य को अपना भरपूर आशीर्वाद दिया।
अपार लोगों से मिले इस आशीर्वाद से भावुक हुए राजकुमार शर्मा ने कहा कि बेशक बाबूजी शारीरिक रूप में हमारे बीच नहीं है मगर हजारों लोगों से मिले प्यार व समर्थन से ये कतई नहीं कहा जा सकता कि बाबूजी की कमी है।
उनके साथ रहे बुजुर्गों के आशीर्वाद से आज भी वही ताकत व ऊर्जा महसूस हो रही है जो पूर्ववत थी। पंडित होशियारीलाल शर्मा के पौत्र मोहित शर्मा कहते हैं कि उनके दादा पंडित होशियारी लाल शर्मा कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर भी ऐसे अनूठे स्तंभ थे जिन्होंने सदैव निष्काम भाव से काम किया।
पंडित होशियारी लाल शर्मा का जन्म 4 अप्रैल 1947 को पंडित जीवनराम पुजारी के घर हुआ। पंडित होशियारी लाल शर्मा को अपने पिता से विरासत में ही संस्कार, सहनशीलता, धैर्य, कर्मनिष्ठा, लगन, ईमानदारी जैसे गुण मिले।
बंसीवट मंदिर आजादी से पहले कांग्रेस की गतिविधियों और जंग-ए-आजादी का एक अहम केंद्र था। महात्मा गांधी के स्वदेशी अपनाओ आंदोलन के दौरान पंडित जीवनराम पुजारी ने बंसीवट मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों से विदेशी वस्त्र हटाकर उन्हें जला दिया और खादी के वस्त्र धारण करवाए।
पंडित जीवनराम छुआछूत और जात पात जैसी रूढि़वादी परंपराओं के सख्त खिलाफ थे। आजादी से पहले उन्होंने बंसीवट मंदिर में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें दलितों एवं स्वर्णों को सामूहिक भोजन करवाया।
उस जमाने में जीवनराम पुजारी को समाज के अनेक तबकों का विरोध सहना पड़ा, लेकिन उन्होंने इन सबकी परवाह नहीं की। अपने पिता की इस तरह की विचारधारा की झलक पंडित होशियारी लाल में भी नजर आती थी।
1968 में भिवानी के रामस्वरूप शर्मा की बेटी बिमला देवी के साथ पंडित होशियारी लाल शर्मा का विवाह हुआ। रामस्वरूप शर्मा 25 बरस तक भिवानी नगरपालिका के प्रधान रहे।
पंडित होशियारी लाल शर्मा ने 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा। सीधे तौर पर संक्षेप में कहा जाए कि पंडित होशियारीलाल शर्मा कांग्रेस के एक वे सिपाही थे जिन्होंने कभी इस पार्टी की विचारधारा को कुंद नहीं पडऩे दिया।