डेरा की ट्रस्ट व महात्मा वीरेंद्र डेरा में संभाले व्यवस्था, सरपंचों व गणमान्य लोगों ने कहा कि पंचायतें हमेशा डेरा के साथ रही और अब भी खड़ी है
असामाजिक तत्वों से प्रशासन सख्ती से निपटे, डेरे का माहौल खराब नहीं होने दियाकालांवाली, 05 अगस्त।
मस्तानाशाह बिलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में उत्पन्न विवाद में क्षेत्र की पंचायतें पूरी तरह से डेरे की ट्रस्ट व पूज्यनीय महाराज बहादुरचंद वकील साहब के परिवार के साथ खड़ी है।
क्षेत्र की पंचायतों ने यह भी कहा है कि गद्दी का फैसला महाराज अपनी वसीयत में करके गए है, उसे माना जाना चाहिए। महाराज जी ने वसीयत में गद्दी महात्मा वीरेन्द्र को दी है।
पंचायतें इस फैसले में उनका समर्थन करती है। ग्राम पंचायत जगमालवाली, ग्राम पंचायत जस्सू, ग्राम पंचायत असीर, ग्राम पंचायत चट्ठा, ग्राम पंचायत चोरमार खेड़ा, ग्राम पंचायत फूलों, ग्राम पंचायत खोखर, ग्राम पंचायत जलालआना, ग्राम पंचायत नौरंग, ग्राम पंचायत देसूजोधा, ग्राम पंचायत माक्खा की पंचायत से प्र्रतिनिधि उपस्थित हुए।
डेरा की गवर्नेंस सेल के इंजार्च नवीन केडिया, रोशन महात्मा, राजा जगमालवाली, अनिल बेगावाली, नाहर सिंह बठिंडा, सूबेदार सिरसा व पंचायत प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि महात्मा वीरेन्द्र व डेरे की ट्रस्ट को डेरे में लाया जाएं ताकि डेरे की गतिविधियों का पहले की तरह संचालन किया जा सके।
मीडिया के सामने आई पंचायतें, दिया समर्थन ट्रस्ट के मैंबर्स को आगे लेकर आए प्रशासन
इससे पहले सरपंचों ने मीडिया के समक्ष सोशल मीडिया पर गद्दी देने संबंधित वायरल पोस्ट का खंडन किया।
पंचायतों ने कहा कि डेरे की गद्दी का फैसला पूज्यनीय महाराज जी ने खुद किया है और वसीयत में महात्मा वीरेन्द्र सिंह का नाम दिया हुआ है। डेरे की अपनी ट्रस्ट है। पूज्यनीय वकील साहब का आदेश है, उसे समर्थन है और डेरे की ट्रस्ट के साथ ही पंचायतें है।
सरपंचों ने प्रशासन से अपील की है कि ट्रस्ट के सदस्यों व महात्मा वीरेंद्र को लेकर आए ताकि ट्रस्ट के लोग डेरा के सिस्टम को पहले की भांति चला सके। उन्होंने कहा कि आज आपसी भाईचारा और डेरा की मर्यादा को बरकरार रखना बहुत जरुरी है।
उन्होंने कहा कि वसीयत को लेकर किसी को कोई शंका है तो वह उसकी जांच करवा लें। उन्होंने कहा कि डेरे का माहौल खराब नहीं होने दिया जाएगा।
जो कुछ असामाजिक तत्व अफवाएं फैला रहे है उन पर लगाम लगानी चाहिए। मीडिया के समक्ष जगमालावाली के सरपंच प्रतिनिधि सतनाम सिंह सत्तू, गुरप्रीत सिंह खोखर, कुलदीप सिंह फूल्लों,
सुखविंद्र सिंह, प्रवीन शर्मा पिपली, सतपाल सिंह, राजविंद्र सिंह, जगसीर कुमार, जतिंद्र सिंह चोरमार, मंजीत सिंह ब्लॉक चेयरमैन सहित करीब दो दर्जन गांवों के सरपंच प्रतिनिधि मौजूद थे।
ट्रस्ट के मैंबरो को आगे लेकर आए प्रशासन
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बाबा जी नहीं आते थे किसी के दबाव में, वसीयत सच्ची: श्री सुमेर लाल शर्मा एडवोकेट
डेरे की वसीयत को लेकर उड़ाई जा रही अफवाहों के बीच वसीयत करने के दौरान मौके पर उपस्थित पूज्यनीय महाराज
बहादुरचंद वकील साहब के परम मित्र श्री सुमेर लाल शर्मा एडवोकेट ने कहा है कि पूज्य महाराज कभी किसी के दबाव में नहीं आते थे। उनका और महाराज जी का नाता यूनिवर्सिटी समय से है। समय-समय पर वह महाराज से भी मिलने जाता था।
हमारा आपसी स्नेह बहुत अधिक था, अब जब महाराज जी बीमार चल रहे इस दौरान हर रोज फोन पर बात होती थी और अपना हाल चाल बताते थे। उन्होंने कहा कि हम सबको महाराज जी के चोला छोड़ने का बहुत अधिक दुख है।
उनकी वसीयत जो मीडिया में है, वह मेरे सामने हुई थी। उस समय मैं वहीं था, मेरे साथ मेरी बेटी, ग्रोवर साहब, सुभाषचन्द्र, दिल्ली के एडवोकेट सौरभ मौके पर उपस्थित थे।
सबसे पहले महाराज ने अपने हाथ से लिखी डायरी में वसीयत दिखाई और कहा कि क्या वह सही है, उसके बाद उसे लिखारी से लिखवाई गई और कुछ समय बाद कानूनी दौर पर रजिस्ट्री करवाई गई।
इलाज करवाने में कोई संदेह नहीं
महाराज जी के परम मित्र श्री सुमेर लाल शर्मा एडवोकेट ने कहा कि महाराज के डाक्टरी इलाज करवाने को लेकर कोई संदेह नहीं है। संगत को चाहिए कि अफवाहों पर ध्यान न दें।
जो लोग यह कह रहे कि वसीयत महाराज जी को दबाव से कराई गई है, महाराज किसी के दबाव में आने वाले नहीं थे और न ही फकीर किसी के दबाव में आते है।
अगर कोई दबाव होता तो महाराज जी मुझसे रोज फोन पर बात करते और मुझे बता देते। मेरी उनसे 22-23 जुलाई तक बात होती रही है। मेरी साध-संगत से विनती है कि महाराज जी की रूह की शांति के लिए उनकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए।