सिरसा, 01 मार्च। सिरसा में पंचायत विभाग में अधिकारियों की मनमानी इस कद्र सिर चढ़ कर बोल रही है कि नियमों को ताक पर रखकर विकास कार्यों को भी प्रभावित किया जा रहा है। पंचायती राज विभाग में कनिष्ठ अभियंताओं की कमी के चलते पंचायतों के विकास कार्य लंबित पड़े है। सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए एचकेआरएन के तहत कनिष्ठ अभियंताओं की नियुक्तियां तो कर दी पर ये अधिकारियों को रास नहीं आ रहा।
अधिकारी इन कनिष्ठ अभियंताओं को विकास कार्यों के लिए चार्ज नहीं दे रहे है। पंयायत विभाग के एक खंड में 80 से 90 गांव है और प्रत्येक खंड में दो से तीन स्थायी कनिष्ठ अभियंता ही है। यही कारण है कि पंचायती राज के तहत गांवों में चल रहे विकास कार्य प्रभावित हो रहे है। कई गांवों के सरपंचों ने मांग की है कि एचकेआरएन के तहत नियुक्त कनिष्ठ अभियंताओं को चार्ज सौंपा जाए।
जिले में पंचायती राज विभाग के तहत हो रहे विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का बोलबाला लंबे समय से चल रहा है। इसी के चलते नए कनिष्ठ अभियंताओं को चार्ज देने में अधिकारी परहेज कर रहे है। क्योंकि वे नहीं चाहते कि भ्रष्टाचार के खेल का भंडाफोड़ हो।
सूत्र बताते है कि कुछ कनिष्ठ अभियंताओं ने अपने स्तर पर कई-कई प्राइवेट नौकर रखे हुए है जो गांवों में जाकर विकास कार्यों का निरीक्षण करते है और एमबी भी वही भरते है। स्थायी कनिष्ठ अभियंता सिर्फ उन कागजों पर हस्ताक्षर करते है। इतना ही नहीं इस्टीमेट बनाने की बात हो या फिर एमबी भरने की कनिष्ठ अभियंताओं की तरफ से सरपंचों को प्राइवेट नौकरों की तय फीस देने पर मजबूर किया जा रहा है।
कुछ सरपंचों का कहना है कि उन्होंने इन तमाम मामलों की वीडियो बना रखी है और आने वाले समय में उन्हें राहत न मिली तो वे इसे सरकार तक पहुंचा कर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलने से गुरेज नहीं करेंगे।