ये नोन जाट कौन सी जाति होती है: ओ पी सिहाग  

नोन जाट | Khabrain Hindustan | Non Jaat | OP Sihag

सिरसा, 26 मार्च। दोस्तों पिछले कई सालों से उत्तरी भारत के कुछ राज्यों में विशेषकर हरियाणा में एक चर्चा बड़े जोरों से होती है जाट और नोन जाट जाति की । य़ह चर्चा और ज्यादा जोर पकड़ लेती है जब चुनाव नजदीक आते हैं तथा मीडिया के लोग भी इस बारे आग में घी डालने का काम करते हैं  इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया में भी इस मुद्दे बारे बहुत चर्चा होती है।


पूर्व अधिकारी ओपी सिहाग कहते है कि दोस्तों सबसे पहले तो मैं आप सभी साथियों से पूछना चाहता हूं कि जाट तो देश में एक जाति है पर ये नोन जाट कौनसी जाति है ? मैने भारत में विभिन्न जातियों के अस्तित्व बारे किताबों की खाक छानी, अलग-अलग विद्वान लोगों द्वारा हरियाणा प्रदेश तथा पूरे भारत में प्रचलित जातियों  के बारे लिखे लेख पढ़े।

मुझे जाट जाति के बारे तो बहुत कुछ पढ़ने को मिला परंतु किसी विद्वान या इतिहासकार द्वारा जातियों बारे लिखे लेखों में किसी नोन जाट जाति का एक शब्द भी पढ़ने को नहीं मिला।


मैने समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगों तथा बुजुर्गों से भी इस मुद्दे बारे बात की पर सबने यही कहा कि ऐसी कोई जाति हमारे देश या प्रदेश में नहीं है।

मैने इतिहास की विभिन्न किताबों में पढ़ा तथा पुराने बुजुर्ग लोगों ने भी बताया कि हमारे देश तथा विशेष कर हरियाणा में ब्राह्मण, बनिया, जाट, गुर्जर, सैनी, यादव, राजपूत, पंजाबी, जट सिख, चमार,धानक,वाल्मीकि, बाजीगर ,सुनार, खाती (जागङा ), धोबी, तेली, धीमान, कम्बोज, लोहार, बंजारा, नाई (सेन) कश्यप, कुम्हार, नायक, राम दासिया, मजहबी सिख आदि जातियां प्रमुख रूप से हैं तथा सब की अपनी-अपनी पहचान है तथा गौरवशाली इतिहास रहा है।

इनमें कुछ जातियां सामान्य वर्ग की है, कुछ ओ बी सी कैटेगरी की है, कुछ जातियां बैकवर्ड कैटेगरी तथा अन्य जातियां अनुसूचित जाति की केटेगरी में आती हैं। इन सभी जातियों के लोगों की अपनी अलग से  सब -कास्ट हैं। हरियाणा प्रदेश में विभिन्न जातियों की संख्या लगभग 50 है तथा सबकी अपनी-अपनी सामाजिक पहचान है, अपने- अपने रीति रिवाज है ।


अब प्रश्न उठता है कि  कौनसी ऐसी ताकतें हैं जो इन जातियों की समृद्ध  संस्कृति तथा पहचान को बिल्कुल खत्म करने पर तूली हुई हैं ? क्यों इन जातियों को सिर्फ  तीन शब्दों (जाट -नोन जाट) में समेटना  चाहती हैं ? हमारे प्रदेश की व्यापार में सबसे ज्यादा अग्रणी जातियां बनिया तथा पंजाबी कम्युनिटी के लोग क्या अपनी जातियों का अस्तित्व कुछ स्वार्थी लोगों के हाथों खोना चाहेंगे? क्या महाराजा अग्रसेन  के वंशज ऐसा चाहेंगे कि  उनकी पहचान ही खत्म  हो जाए?

क्या देश प्रदेश में अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध राजपूत, सैनी , गुर्जर, यादव जाति के लोग अपनी संस्कृति, अपना इतिहास उन चंद सत्ता लोलुप स्वार्थी लोगों के हाथों मिटाना चाहेंगे ? क्या हमारे समाज की अग्रणी जाति ब्राह्मण जो सब को धर्म और नैतिकता की शिक्षा देते हैं तथा समाज की सभी जातियों में सम्मानीय हैं, वो चाहेंगे कि उन का प्रभाव बिल्कुल खत्म हो जाए तथा वो भी स्वार्थी लोगों के फैलाये जाल में फंस जाए। इसी प्रकार अन्य जातियों के लोग भी नहीं चाहेंगे कि उनकी जाति का नाम भुलाकर सिर्फ उनको नोन जाट कहा जाए।


अगर हम 40-45 साल पीछे झांक कर देखे तो पाएंगे कि किस तरह हमारे बड़े बडेरे आपस में प्रेम से मिलजुल कर रहते थे। समाज की सभी जातियों के लोगों के बीच भाईचारा था, सौहार्दपूर्ण ढंग से जिंदगी व्यतीत करते थे । हर कोई एक दूसरे के सुख दुख का साथी होता था । हम सब लोग चाहे किसी भी जाति से संबंध रखते हों ये अच्छी तरह से जानते हैं कि पिछले कई सालों से  हमारे आपस के भाईचारे में कहीं न कहीं बहुत कमी आई है।

हमारे सामाजिक रिश्तों को छिन्न-भिन्न करने की कुछ स्वार्थी लोगों ने कोशिश की है। दोस्तो ये मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है तथा समाज के हर वर्ग को इस बारे जानना तथा समझना होगा कि ऐसी कौनसी ताकतें हैं जो अपने राजनीतिक स्वार्थ की खातिर हमे आपस में बांटकर अपना हित साधना चाहती हैं।

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