नेता जी ने अब सुर बदल लिए
8 सितंबर 2024
पार्टी नेतृत्व के समक्ष मंच पर खुलेआम जिलाध्यक्ष और हल्का अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगा बगावती सुर दिखाने वाले नेताजी अब शांत है और जी जान से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
पार्टी की तरफ से इशारा मिला या कोई गलतफहमी हुई, या फिर अति महत्वाकांक्षी हो नेताजी के मन में शायद चुनाव लड़ने की इच्छा जोर मारने लगी थी।
हलका प्रभारी तो थे ही, कुछ शुभचिंतको ने भी इच्छा को हवा दे रखी थी। नेता जी मन ही मन चुनाव लड़ने की पुरी तैयारी भी कर चुके थे।
पार्टी का हलके में प्रभाव और परिवार का शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी से जुड़ाव का आंकलन बिठा नेताजी को सपनों में विधायकी भी दिखने लगी थी ।
पर कार्यकर्ताओं की रायशुमारी और उम्मीदवार परिवार से हो, एक स्वर में उठी मांग को देखते हुए पार्टी ने युवराज को मैदान में उतार दिया।
ऐसे में मन की खीझ बलवान हुई और नेताजी ने जिलाध्यक्ष और हलका अध्यक्ष को खुले में लपेट लिया। हालांकि नेता जी बेहद सुलझे हुए इंसान है। बात कौन सही, कौन गलत की नहीं है,
आपसी मनमुटाव को चौराहे पर लाने की है। नेता जी के सभी दलों के नेताओं से अच्छे संबंध है। सिरसा क्लब में बैठ नेता जी बुद्धिजीवियों से भी विचारों का आदान-प्रदान करते रहते हैं।
बताया जाता है कि नया रास्ता तलाशने की कोशिशें भी हुई। शुभचिंतकों ने अपने स्तर पर इधर-उधर बात भी चलाई। पुराने रिश्ते तो है ही, चौधरी साहब भी मिलने पहुंच गए।
लेकिन भाई साहब ने मामला आगे बढऩे ही नहीं दिया। घटना के अगले ही दिन भाई साहब ने मौका संभाल लिया और चुनाव प्रचार की कमान नेता जी को सौंप दी।
अब इतना सम्मान मिलने और भतीजे का चुनाव छोड़ नेता जी कहीं ओर जाएं भी कैसे। चलो मामला सुलझ गया, अच्छा हुआ। नेता जी हमारे भी परम मित्र हैं और गुरु के भी ।
पर एक बात तो कहनी पड़ेगी नेता जी ऐसे दल में है जहां एक चुटकी में किसी को भी जीरो से हीरो बना देते हैं, अगर कोई आंख टेडी करे तो हीरो से जीरो बनाने में भी देर नहीं करते।
साफ बात है कि छोड़ कर जाने वालों का कुछ खास नहीं बनता इतिहास गवाह है।