मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में लाखों परीक्षार्थियों के साथ घोटाला पूरी तरह से अस्वीकार्य और अक्षम्य है। यह देश के लाखो
अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है, जिसकी सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में उच्च स्तरीय जांच तुरंत होनी चाहिए।
नीट परीक्षा में सफल होने के लिए लाखों छात्र व उनके परिजन सालों जी-तोड़ मेहनत करते हैं। इस साल पहले इसमें पेपरलीक
होने का समाचार आया, जिसे दबा दिया गया। पेपर लीक की खबर सवाई माधोपुर से आई थी।
अब मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के कई परीक्षार्थियों ने छात्रों के अंक बढ़ाए जाने का आरोप लगाए हैं।
छात्रों का कहना है कि इस बार रिकॉर्ड 67 परीक्षार्थियों ने टॉप रैंक हासिल की और इनमें से छह अभ्यर्थी तो एक ही परीक्षा केंद्र से बताए जा रहे हैं।
सवाल यह है कि आखिर छात्रों के साथ ये धोखा कैसे हुआ, किसने किया और क्यों यह परिणाम जानबूझकर 4 जून को चुनाव
नतीजों के शोर में घोषित किया गया, जबकि इसे 14 जून को घोषित होना था?
नीट के परिणाम पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं 👇
सवाल नंबर 1: एक साथ 67 टॉपर को 720/720 अंक कैसे आए?
सवाल नंबर 2: एक ही सेंटर के 8 बच्चों के 720/720 अंक कैसे आए?
सवाल नंबर 3: हर सवाल 4 नंबर का फिर 718-719 नंबर कैसे आया?
नीट परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने के बाद जारी परिणाम में 67 छात्रों को 720 में से 720 अंक मिलना बड़ा संदेह पैदा करता है।
नीट रिजल्ट के पिछले पांच साल इतिहास देखें तो 2019 में 1 टॉपर था 2020 में भी 1 छात्र ने टॉप किया था. 2021 में तीन
छात्रों ने टॉप किया. 2022 में संख्या फिर एक पर पहुंच गई. 2023 में 2 टॉपर रहे थे जबकि 2024 में यह आंकड़ा 67 स्टूडेंट्स पर पहुंच गया यानि उन्हें 720 में से 720 यानी पूरे नम्बर मिले !
शोर मचने के बाद राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने सफ़ाई तो दी है पर इस सफाई को प्रभावित छात्रों द्वारा बेहद सतही और ग़ैर भरोसेमंद बताया जा रहा है।
ऐसे में छात्रों का इस परिक्षा की शुचिता में विश्वास बहाली बेहद ज़रूरी है, जो निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच से ही संभव है।